भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा सख्ती चरण के दौरान अतिरिक्त नकदी को सामान्य बनाए जाने और मजबूत ऋण वृद्धि का प्रयास अभी भी पूरा नहीं हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया कि जमा दरों (सावधि जमा और बचत खातों के साथ) में वृद्धि अब उधारी में वृद्धि की गति पिछड़ गई है। पॉलिसी रीपो दर के अनुरूप मई 2022 से उधारी दर में वृद्धि शुरू हुई थी। हालांकि बैंक के बचत खातों के लिए जमा दर करीब करीब एक जैसी रही हैं। बैंक के कुल जमा पूंजी में एक तिहाई बचत खातों में जमा धन है।
रिपोर्ट के अनुसार सावधि जमा की दर बढ़ने के कारण मौजूदा सख्ती के चक्र में उधारी दर बढ़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ‘जमा जमा की ब्याज दरों में जबरदस्त बदलाव हुआ है लेकिन बचत खाते की जमा दरें ‘सख्त’ सी रही हैं।’
शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक्स (एससीबी) ने मई 2022 से अक्टूबर 2023 तक की अवधि में बैंचमार्क रीपो दर से जुड़ी दर को 250 आधार अंक ऊपर समायोजित किया और ऐसा करके रेपो दर बढ़ने से तारतम्यता बनाई। हालांकि एक साल के कोष आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) के औसत सीमांत लागत में अपेक्षाकृत 152 अंक की कम वृद्धि हुई। यह बैंकों की उधारी लेने की लागत में कमी के रुझान को दर्शाता है।
हालांकि मई 2022 से सितंबर 2023 के दौरान हालिया जमा के लिए भारित औसत घरेलू सावधि जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) को 229 आधार अंक बढ़ाया गया। बैंकों ने सख्ती के शुरुआती चरण में खुदरा सावधि जमा दर की तुलना में थोक सावधि जमा दरों को अधिक बढ़ाया। हालांकि वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में थोक खुदरा ब्याज दरों से अधिक खुदरा ब्याज दरें हो गईं।
इस अवधि में नए खुदरा जमा के लिए डब्ल्यूएडीटीडीआर 164 आधार अंक बढ़ा जबकि यह नए थोक जमा के लिए 269 अंक बढ़ा। बकाया जमा पर डब्ल्यूएडीटीडीआर का प्रसार 166 आधार अंक से कम था।