IIP Data: अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 0.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि जुलाई में 4.7 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। खनन और बिजली उत्पादन में कमी के कारण ऐसा हुआ है। साथ ही इस महीने के दौरान विनिर्माण उत्पादन में भी तेज गिरावट आई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खनन उत्पादन में वृद्धि संकुचित होकर -4.3 प्रतिशत पर आ गई, जबकि इसके पहले के महीने में 3.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। इसी तरह से बिजली उत्पादन में संकुचन (-3.7 प्रतिशत) आया, जबकि इसके पहले के महीने में 7.9 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी।
वहीं दूसरी ओर विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन घटकर 1 प्रतिशत रह गया, जो जुलाई में 4.4 प्रतिशत था। अप्रैल-अगस्त 2024 के दौरान आईआईपी में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि आईआईपी के 23 विनिर्माण क्षेत्रों में से 11 में, जिनमें खाद्य उत्पाद, बेवरिज, कागज, कोक और रिफाइंड उत्पादों के साथ अन्य शामिल हैं, अगस्त के उत्पादन में संकुचन आया है।
बहरहाल उपभोग पर आधारित श्रेणियों जैसे पूंजीगत वस्तुओं (0.7 प्रतिशत) माध्यमिक वस्तुओं (3 प्रतिशत), अधोसंरचना वस्तुओं (1.9 प्रतिशत) और उपभोक्ता वस्तुओं (5.2 प्रतिशत) में माह के दौरान गिरावट आई है। वहीं दूसरी तरफ प्राथमिक वस्तुओं (-2.6 प्रतिशत) और उपभोक्ता गैर-टिकाऊ (-4.5 प्रतिशत) में माह के दौरान संकुचन आया है।
उपयोग पर आधारित श्रेणी के खराब प्रदर्शन से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में मांग सुस्त हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त महीने में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण कई सेक्टर जैसे खनन, बिजली और बुनियादी ढांचे में कामकाज प्रभावित हुआ है। साथ ही मांग कम होने का भी खपत पर असर पड़ा है। क्रिसिल के मु्ख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि अगस्त में तुलनात्मक रूप से भारी बारिश होने के कारण प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों का उत्पादन प्रभावित हुआ है, साथ की कमजोर मांग की वजह से उपभोक्ता वस्तु जैसे क्षेत्रों में मंदी आई है।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि मॉनसून अनुकूल रहा है, लेकिन इसके वितरण का मसला बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘घरेलू निजी खपत मांग इस साल त्योहारों के सीजन के पहले बढ़ने की संभावना है। विदेश में मांग कमजोर बनी हुई है, जो अगस्त और सितंबर में वस्तु निर्यात में सुस्ती के लगातार दो महीने के आंकड़ों से पता चलता है।’
इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि उपलब्ध प्रमुख संकेतकों से सितंबर में आर्थिक गतिविधियों की मिली जुली स्थिति का पता चलता है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इक्रा का मानना है कि सितंबर में आईआईपी सुधरकर 3 से 5 प्रतिशत के बीच रहेगा।