भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से उत्पन्न चुनौतियां अगले एक या दो तिमाहियों में कम हो जाएंगी, लेकिन देश को दीर्घकालिक रणनीतिक चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने निजी क्षेत्र से ज्यादा सक्रियता की अपेक्षा जताई और कहा कि आने वाले वर्षों में देश को जिन प्रमुख समस्याओं का सामना करना है, उसके लिए उद्योग जगत को तैयार रहना चाहिए।
नागेश्वरन ने कहा कि FY25 में आर्थिक वृद्धि दर 9.2% से घटकर 6.5% हो गई, जिसका मुख्य कारण कठोर क्रेडिट शर्तें और नकदी की कमी रही। उन्होंने कहा कि यदि कृषि क्षेत्र में सही नीतियां अपनाई जाएं, तो यह वास्तविक GDP वृद्धि में 25% तक का योगदान दे सकता है।
उन्होंने कहा कि रत्न एवं आभूषण, झींगे और वस्त्र जैसे क्षेत्रों पर अमेरिका के 50% टैरिफ का पहला झटका लग चुका है। अब आगे आने वाले द्वितीय और तृतीय स्तर के प्रभाव अधिक जटिल होंगे। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वर्तमान स्थिति एक या दो तिमाहियों में सामान्य हो जाएगी। दीर्घकालिक दृष्टिकोण से इसका बहुत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन अल्पकालिक चुनौतियां जरूर रहेंगी,” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार इस मुद्दे से अवगत है और प्रभावित क्षेत्रों के साथ बातचीत चल रही है। आने वाले दिनों में नीति-निर्माताओं से इस संबंध में घोषणाएं हो सकती हैं।
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नागेश्वरन ने कहा कि कोई यह स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर उच्च टैरिफ क्यों लगाए। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ या किसी अन्य रणनीतिक कारण की ओर संकेत करते हुए कहा कि इसके पीछे कई संभावनाएं हो सकती हैं।
CEA ने कहा कि केवल टैरिफ पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), आवश्यक खनिजों की आपूर्ति, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने जैसे दीर्घकालिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वह अल्पकालिक लाभ के बजाय दीर्घकालिक रणनीति पर विचार करे। उन्होंने कहा, “निजी क्षेत्र को अगले तिमाही के लाभ से ऊपर उठकर अगले 10 वर्षों की चुनौती पर सोचने की जरूरत है,”।
CEA ने कहा कि AI के अत्यधिक उपयोग से श्रमिकों का विस्थापन होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को यह तय करना होगा कि किन क्षेत्रों में AI को लागू किया जाए और किस गति से। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अगले 10–12 वर्षों में प्रति वर्ष कम से कम 80 लाख नई नौकरियां पैदा करनी होंगी।
CEA ने कहा कि युवा पीढ़ी में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, जैसे अत्यधिक स्क्रीन टाइम, प्रोसेस्ड फूड का सेवन और बढ़ती चिंताएं, चिंता का विषय हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र से इसमें सहयोग की मांग की।
नागेश्वरन ने FY26 में निजी पूंजी व्यय (private capital expenditure) की सराहना की और कहा कि फरवरी 2026 में आने वाला डेटा इस बात की पुष्टि करेगा। उन्होंने UPI लेनदेन के आंकड़ों के माध्यम से उपभोक्ता मांग को “स्वस्थ” बताया। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि शहरी सेवाओं की खपत पर उचित डेटा नहीं है, और लिस्टेड कंपनियों की रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष निकालना सही नहीं होगा, क्योंकि खपत अब अनलिस्टेड सेक्टर में शिफ्ट हो रही है।
नागेश्वरन ने चीन के साथ 100 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को केवल एक संख्या मानकर छोड़ने के बजाय, सुरक्षा के नजरिए से भी देखने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत को क्रिटिकल मिनरल्स के लिए एक ही देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने चेताया, “हमें कच्चे तेल पर निर्भरता से निकलकर अब खनिजों पर रणनीतिक निर्भरता की ओर नहीं जाना चाहिए,” ।
(एजेंसी इनपुट के साथ)