अर्थव्यवस्था

सातवीं आर्थिक गणना के आंकड़े जल्द जारी हो: संसद समिति की सिफारिश

12 साल से लंबित आर्थिक आंकड़ों पर चिंता, खर्च को सही ठहराने के लिए अंतरिम डेटा जारी करने का आग्रह

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शिवा राजौरा   
Last Updated- March 24, 2025 | 10:44 PM IST

वित्त पर बनी संसद की स्थायी समिति ने सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (मोस्पी) से सातवीं आर्थिक गणना के फील्डवर्क से ‘कुछ उपयोगी आंकड़े एकत्र करने’ और कुछ अंतरिम आंकड़े पेश करने का आग्रह किया है।

संसद में पेश अपनी ताजा रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि 2013 में की गई पहले की छठी आर्थिक गणना और प्रस्तावित आठवीं आर्थिक गणना के बीच अंतर बढ़कर 12 साल से अधिक हो गए हैं, जिसके कारण आंकड़े की लंबी शून्यता की स्थिति है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसकी वजह से समिति ने मंत्रालय से अनुरोध किया है कि कुछ उपयोगी आंकड़े निकाले जाएं, जो सातवीं आर्थिक गणना के दौरान फील्डवर्क से प्राप्त किए गए थे और इस अवधि के कुछ अंतरिम आंकड़े जारी किए जाएं, जिससे सर्वे पर किए गए व्यय को आंशिक रूप से उचित ठहराया जा सके।’

सातवीं आर्थिक गणना के आंकड़े 2019 में एकत्र करना शुरू किए गए और कोविड महामारी के कारण इसमें 2 साल लग गए। पश्चिम बंगाल ने संपर्क किए जाने के बावजूद इसमें हिस्सा नहीं लिया था। सांख्यिकी मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने दिसंबर 2023 में संसद को सूचित किया कि 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने सातवीं आर्थिक गणना के अनंतिम आंकड़ों को मंजूरी नहीं दी और मंजूरी देने के 10 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के फैसले अभी लंबित हैं। मंत्री ने कहा कि इसकी वजह से सातवीं आर्थिक गणना के परिणाम नहीं आ सके।

समिति ने आगे यह भी कहा है कि सातवीं आर्थिक गणना के लिए 913 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसमें से 691.04 करोड़ रुपये का इस्तेमाल हुआ।

First Published : March 24, 2025 | 10:44 PM IST