भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश में स्थित निवासी इकाइयों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में सोना की कीमतों से जुड़े जोखिम से बचाव की मंजूरी दे दी है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए इस फैसले की जानकारी दी। अभी तक भारत में मौजूद निवासी इकाइयों को विदेशी बाजारों में सोने में निवेश को लेकर कीमत जोखिम से बचाव की अनुमति नहीं मिली हुई थी।
दास ने कहा, ‘इन इकाइयों को सोने में निवेश को लेकर कीमत जोखिम से प्रभावी तरीके से बचाव के लिए अधिक लचीलापन देने के लिए यह तय किया गया है कि निवासी इकाइयों को IFSC में मान्यता-प्राप्त एक्सचेंजों पर अपना स्वर्ण कीमत जोखिम से बचाव की मंजूरी हो।’
उन्होंने कहा कि इस बारे में विस्तृत निर्देश RBI की तरफ से अलग से जारी किए जाएंगे। अहमदाबाद से सटे गिफ्ट सिटी में गठित IFSC अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र के तौर पर काम करता है। इस बीच RBI ने सांविधक तरलता अनुपात (SLR) के अंतर्गत एचटीएम (हेल्ड टू मैच्योरिटी) श्रेणी की परिपक्वता अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 तक करने का फैसला भी किया है।
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दास ने कहा कि 23 फीसदी की बढ़ी हुई एचटीएम सीमा में एक सितंबर, 2020 से लेकर 31 मार्च, 2024 तक प्रतिभूतियां लेने की अनुमति बैंकों को होगी। एचटीएम निवेश पोर्टफोलियो की श्रेणी है। इस श्रेणी की प्रतिभूतियों को बैंक उसकी परिपक्वता अवधि तक रखते हैं। RBI ने पहले एचटीएम की सीमा को 19.5 फीसदी से बढ़ाकर 23 फीसदी करने का फैसला किया था जिसके लिए मार्च, 2023 तक की अवधि तय की गई थी। उन्होंने कहा कि जून 2024 की तिमाही से इस सीमा को चरणबद्ध ढंग से कम करते हुए फिर से 19.5 फीसदी पर लाया जाएगा।