महाकुंभ के दौरान की तस्वीर
हाल ही में प्रयागराज में संपन्न हुए महाकुंभ के दौरान करोड़ों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने झलक दिखाई कि धर्म-कर्म से पर्यटन को किस तरह बढ़ावा मिल सकता है। इससे रोजगार सृजन और कमाई भी की जा सकती है। पर्यटन मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में धार्मिक स्थलों पर 143.9 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे और उससे करीब 1.34 लाख करोड़ रुपये राजस्व अर्जित किया गया था। पीएचडीसीसीआई की धार्मिक पर्यटन पर आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, उम्मीद जताई जा रही है कि धार्मिक पर्यटन से साल 2028 तक करीब 59 अरब डॉलर की आय हो सकती है और साल 2030 तक 14 करोड़ स्थायी और अस्थायी नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।
पिछले साल अयोध्या में आयोजित धार्मिक पर्यटन सम्मेलन के दौरान जारी हुई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में 60 फीसदी से अधिक पर्यटन धर्म से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश से मिली जानकारी के मुताबिक, अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने के बाद से धार्मिक पर्यटन में तेज इजाफा हुआ है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से मिले आंकड़ों के हवाले से कहा है कि जिले में आने पर्यटकों की कुल संख्या भी साल 2020 के 60.2 लाख से बढ़कर साल 2024 में 16.4 करोड़ हो गई। महाकुंभ ने भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने में काफी योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आस्था के इस महासमागम से करीब 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान लगाया है।
पर्यटन मंत्रालय ने साल 2017 में इस क्षेत्र को प्रमुख विकास इंजन के तौर पर बढ़ावा देने के लिए प्रसाद योजना की शुरुआत की थी। 27 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 48 परियोजनाओं को उन्नत करने के लिए 1,646.99 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी। इनमें से 1,036.96 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिनमें से 25 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं और 22 निर्माणाधीन हैं और एक परियोजना रद्द कर दी गई है। कुल मिलाकर भारत का पर्यटन उद्योग एक असाधारण पुनरुत्थान देख रहा है, जो आर्थिक वृद्धि और विदेशी मुद्रा आय को बढ़ावा दे रहा है।
हालिया भारत पर्यटन डेटा संग्रह 2024 के मुताबिक, यह क्षेत्र वैश्विक महामारी से उबर गया है और कई प्रमुख संकेतकों में साल 2019 के पहले के स्तर को पार गया है।
अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई राज्य भी अब पर्यटन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह उन प्रदेशों में काफी महत्त्व रखता है जो दूसरों के मुकाबले पर्यटन पर अधिक निर्भर हैं। इस क्षेत्र को भुनाने के लिए अरुणाचल प्रदेश बुधवार को अपनी नई पर्यटन नीति और लोगो का अनावरण करने वाला है। मगर इसके बावजूद कुल रोजगार में पर्यटन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2023 तक घट गई है, जो कार्यबल की गतिशीलता में बदलाव और अन्य आर्थिक क्षेत्रों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
भारत में साल 2023 में 95.20 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे थे, जो साल 2022 के मुकाबले 47.9 फीसदी अधिक है। इसके अलावा रिकॉर्ड 93.8 लाख अनिवासी भारतीय (एनआरआई) पहुंचे, जिससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में और इजाफा हुआ। विदेश से आने वाले पर्यटकों में बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा शीर्ष पांच देश रहे।
घरेलू पर्यटन में भी उल्लेखनीय उछाल आया है। साल 2023 में 2.5 अरब घरेलू पर्यटक पहुंचे थे, जो साल 2022 के मुकाबले 45 फीसदी अधिक है। पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय (एफईई) में भी भारी इजाफा दर्ज किया गया है। यह साल 2023 में 28.077 अरब डॉलर था, जो साल 2022 के 21.36 अरब डॉलर के मुकाबले 31.5 फीसदी अधिक है। घरेलू पर्यटन में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे। उत्तर प्रदेश में 47.85 करोड़ और तमिलनाडु में 28.60 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे। इस बीच, महाराष्ट्र और गुजरात ने सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया है। महाराष्ट्र में 33.9 लाख और गुजरात में 28.1 लाख विदेशी सैलानियों का आगमन हुआ।
विरासत पर्यटन के लिहाज ताज महल अभी भी सबसे ज्यादा देखे जाना वाला स्मारक बना है। बीते वित्त वर्ष में सात अजूबों में से इस पहले अजूबे को देखने के लिए 60.10 लाख घरेलू और 6.8 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे थे। इसके अलावा अन्य विरासत स्थलों में नई दिल्ली के कुतुब मीनार, आगरा के आगरा किला और कोणार्क के सूर्य मंदिर का स्थान है।
बुनियादी ढांचे के विकास, डिजिटलीकरण और सतत पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत वैश्विक पर्यटन दिग्गज के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए तैयार है। नए हवाई मार्गों, हाई-स्पीड ट्रेन और ईको टूरिज्म पहलों में निवेश से इस क्षेत्र की वृद्धि में और तेजी आने की उम्मीद है।