भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि भारत में महंगाई दर में कमी की प्रक्रिया सुस्त रहने और मध्यम अवधि के हिसाब से 4 प्रतिशत पर पहुंचने की संभावना है। बहरहाल दास ने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था इस साल विश्व की सबसे तेज बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बनी रहेगी।
सेंट्रल बैंकिंग, लंदन द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन बैठक के एक सत्र में दास ने कहा, ‘पिछले एक साल के दौरान हमारी मौद्रिक नीति कार्रवाई का पूरा असर अभी सामने नहीं आया है और इसे अभी पूरी तरह मूर्त रूप लेना बाकी है।’ उन्होंने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए महंगाई दर को लेकर हमारा अनुमान कम, 5.1 प्रतिशत है, लेकिन यह अभी भी हमारे लक्ष्य से ऊपर रहेगी।’
महंगाई दर के बारे में दास ने कहा कि मई 2023 में महंगाई दर घटकर 4.25 प्रतिशत पर आ गई है, जिससे इसमें कुछ कमी के संकेत मिलते हैं, जो अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत पर थी।
मई में खुदरा महंगाई दर 25 माह के निचले स्तर पर
सोमवार को जारी सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि मई में खुदरा महंगाई दर 25 माह के निचले स्तर पर रही है।
उन्होंने कहा, ‘इन आंकड़ों के आधार पर और पहले की कार्रवाइयों के असर के आकलन के बाद हमने अप्रैल और जून 2023 की बैठक में दर में ठहराव का फैसला किया, लेकिन साफ किया कि यह आधार नहीं है, न यह नीतिगत दिशा में निश्चित बदलाव है।’ रिजर्व बैंक के अधिनियम के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर 4 प्रतिशत रखना अनिवार्य किया है, जिसमें 2 प्रतिशत की घट-बढ़ हो सकती है।
दास ने कहा कि दर सख्त करने का चक्र को लेकर साफ रुख अपनाना जोखिम से भरा होता है, यह देखते हुए मौद्रिक नीति समिति ने भविष्य के लिए कोई दिशानिर्देश देने से परहेज किया है।
दास ने कहा कि यह मानते हुए कि दर सख्त करने के चक्र में स्पष्ट मार्गदर्शन स्वाभाविक रूप से जोखिमों से भरा होता है, एमपीसी ने टर्मिनल दर के समय और स्तर पर भविष्य में कोई मार्गदर्शन प्रदान करने से भी परहेज किया है।
दास ने कहा कि वैश्विक सुस्ती के बीच भारत में वृद्धि पिछले कुछ साल से घरेलू मांग से संचालित रही है। उन्होंने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था को खुलेपन की वजह से तेजी से लाभ हुआ है और इन वर्षों के दौरा इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण हुआ है। बहरहाल यह भी ध्यान में रखना होगा कि वैश्विक मंदी के बीच भारत में पिछले कुछ साल से मुख्य रूप से घरेलू मांग के कारण तेजी आई है, खासकर निजी खपत और निवेश बढ़ा है।’
उन्होंने कहा कि कि हम उम्मीद करते हैं कि 2023-24 के दौरान वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी और भारत 2023 में तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बना रहेगा। उन्होंने कहा कि महामारी के वर्षों के दौरान रिजर्व बैंक ने वृद्धि को प्राथमिकता दी।