वैश्विक आर्थिक संकट की वजह से भारत में प्राइवेट इक्विटी (पीई) निवेश पर भी बुरा असर पडा है।
पिछले साल अप्रैल 2008 से इस साल फरवरी तक की अवधि के दौरान भारत में पीई निवेश में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई और यह एक साल पहले के 70,000 करोड रुपये से घटकर 33,000 करोड रुपये के स्तर पर तक पहुंच गया।
मंदी की मार इस क्षेत्र में किए जाने वाले सौदों पर भी पड़ी जिसमें 33 फीसदी तक की गिरावट आई और यह 436 से घटकर 292 रह गया। बाजार के जानकारों का कहना है कि इस साल पीई निवेश की गति धीमी रहेगी और वर्ष 2009 से विशेष अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
पीई निवेश संबंधी आंकडों का संकलन करने वाली चेन्नई स्थित कंपनी वेंचर इंटेलीजेंस के संस्थापक और मुख्य वित्त अधिकारी अरुण नटराजन ने कहा कि मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र को छोड़कर लगभग सभी उद्योगों में निवेश में खासी कमी आई है।
मीडिया और मनोरंजन उद्योग में कीमत के लिहाज से 96 फीसदी तक की बढोतरी दर्ज की गई है। इस अवधि के दौरान कुछ बड़े निवेशों में मई 2008 में आदित्य बिड़ला टेलीकॉम में 42.8 करोड़ डॉलर का निवेश, जीआईसी द्वारा रेड ऐंड टेलर इंडिया में जून 2008 में 22.5 करोड़ डॉलर का निवेश शामिल हैं।
इसके अलावा आईडीएफसी पीई कंसोर्टियम ने क्विपो टेलीकॉम इंन्फ्रास्ट्रक्चर में अगस्त 2008 में 19 करोड़ डॉलर का निवेश जबकि गोल्डमैन सैक्स ने महिन्द्रा ऐंड महिन्द्रा में 17.4 करोड़ डॉलर का निवेश किया।
हाल में ही अमेरिका स्थित पीई कंपनी टीपीजी के प्रबंध निदेशक पुनीत भाटिया ने कहा कि पिछले दो सालों में भारत में हुए जबरदस्त पीई निवेशक का दौर अचानक थम सा गया है। भाटिया ने कहा कि भारतीय बाजार में स्थाई पीई इक्विटी सौदों का कारोबार घटकर 50 फीसदी के स्तर तक रह जाएगा।
स्वास्थ्य और जीव विज्ञान के क्षेत्र में पीई निवेश में सबसे ज्यादा यानी 75 फीसदी की गिरावट आई और यह एक साल पहले के 4,000 करोड रुपये से घटकर मात्र 1,000 करोड रुपये रह गया। इस अवधि के दौरान इस क्षेत्र में किए जाने वाले सौदों में भी 51 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई।
इसके बाद बीएफएसआई को नुकसान उठाना पडा जिसमें पीई निवेश में 71 फीसदी तक की गिरावट आई। एक साल पहले इस क्षेत्र में करीब 15,100 करोड़ रुपये का पीई निवेश हुआ था जो हाल में पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण घटकर 4,300 करोड़ रुपये रह गया। इस क्षेत्र में पीई सौदे में 19 फीसदी की गिरावट आई ।