अर्थव्यवस्था

NFRA की बोर्ड मीटिंग 11-12 नवंबर को, नए ऑडिट मानकों पर होगी चर्चा!

संशोधित ऑडिट मानकों का प्रस्ताव NFRA ने लिस्टेड कंपनियों और सार्वजनिक हित से जुड़े संस्थानों के ऑडिट के लिए रखा है।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- November 04, 2024 | 9:36 PM IST

नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) की अगली बोर्ड मीटिंग 11-12 नवंबर को आयोजित की जाएगी। इस मीटिंग को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि NFRA संशोधित इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स ऑन ऑडिटिंग (ISA 600) को अपनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा सकता है। इस प्रस्ताव पर पहले सार्वजनिक सुझाव मांगे गए थे जिसकी अंतिम तारीख 31 अक्टूबर थी।

MCA को सिफारिशें भेजेगा NFRA

सूत्रों का कहना है कि इस मीटिंग में NFRA अपने सदस्यों के विचारों के आधार पर विभिन्न ऑडिट मानकों, विशेष रूप से ISA 600 में बदलाव को लेकर कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) को सिफारिशें भेजेगा। एक बार इन बदलावों पर सहमति बनने के बाद, MCA द्वारा इन्हें नोटिफाई किया जाएगा, जिससे यह मानक औपचारिक रूप से लागू हो जाएंगे।

संशोधित ऑडिट मानकों का प्रस्ताव NFRA ने लिस्टेड कंपनियों और सार्वजनिक हित से जुड़े संस्थानों के ऑडिट के लिए रखा है। हालांकि, यह मानक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, बीमा कंपनियों और बैंकों पर लागू नहीं होंगे। NFRA के मुताबिक, इस बदलाव से कुल 17,450 लिस्टेड होल्डिंग कंपनियां और उनकी सहायक कंपनियां, जिनमें अनलिस्टेड कंपनियां भी शामिल हैं, नए मानकों के दायरे में आएंगी।

ऑडिट मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने की पहल

विशेषज्ञों का मानना है कि NFRA की यह पहल भारतीय ऑडिटिंग मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे वित्तीय पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा मिलेगा।

NFRA ने जनता से राय मांगते हुए कहा कि भारत में वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे 2002 के SA 600 वर्जन से समूह संरचनाओं की बढ़ती कठिनाइयों का समाधान करना संभव नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन मानकों को 2009 में अपडेट किया गया था, और NFRA का मानना है कि अब इन संशोधित मानकों को भारत में भी लागू करना आवश्यक हो गया है।

NFRA के अनुसार, समूह ऑडिट के लिए संशोधित मानकों को अपनाने का मुख्य उद्देश्य जनहित और निवेशकों की सुरक्षा करना है। इसके साथ ही, आज के जटिल आर्थिक सिस्टम को देखते हुए एक मजबूत और प्रभावी फ्रेमवर्क की जरूरत है।

सूत्रों का कहना है कि NFRA ने इस मामले पर कानूनी सलाह भी ली है और इसे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली कंपनियों पर खुद लागू करने की योजना बना रहा है। एक सूत्र ने बताया, “NFRA की जिम्मेदारी है कि वह इन मानकों को समय के साथ अपडेट करे, क्योंकि इसकी जवाबदेही भी उसी पर है।”

इस महत्वपूर्ण बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सेबी, भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान (ICAI), और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

ICAI की आपत्ति और छोटे ऑडिट फर्मों की चिंताएं

NFRA द्वारा जनता की राय आमंत्रित किए जाने के तुरंत बाद, ICAI ने इस प्रक्रिया पर विराम लगाने का अनुरोध किया ताकि इस पर व्यापक समीक्षा की जा सके। ICAI को चिंता है कि ISA 600 के लागू होने से ऑडिट कार्य कुछ बड़े फर्मों तक सीमित हो सकता है, जिससे छोटे और मध्यम आकार के ऑडिट फर्मों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं होगा।

संशोधित मानकों के तहत समूह ऑडिटर को ऑडिट की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके अलावा, समूह ऑडिटर को कंपोनेंट ऑडिटर की रिपोर्ट और उसके काम की पूरी जांच करने की भी जरूरत होगी। NFRA का यह कदम भारतीय ऑडिट मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

First Published : November 4, 2024 | 7:25 PM IST