महाराष्ट्र लॉकडाउन से जीवीए वृद्धि कम: केयर रेटिंग्स

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:16 AM IST

महाराष्ट्र में कोविड के मामले बढऩे के कारण लगाए गए कड़े प्रतिबंधों से वित्त वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 2022) में पूरी घरेलू अर्थव्यवस्था की सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि 0.32 फीसदी घट सकती है। केयर रेटिंग्स ने यह अनुमान जताया है। रेटिंग एजेंसी ने मार्च के अंत में वित्त वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था के जीवीए में 10.24 फीसदी फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया था। तब यह माना गया था कि वित्त वर्ष के दौरान हालात सामान्य हो जाएंगे।
हालांकि वित्त वर्ष 2022 की शुरुआत निराशाजनक माहौल में हुई है। महाराष्ट्र में पूरी तरह और अन्य राज्यों में आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया है। ऐसे में केयर रेटिंग्स का मानना है कि कुल उत्पादन और उपभोग प्रभावित होगा।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने लिखा, ‘हमने वित्त वर्ष 2022 में देश का जीवीए 137.8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया था। इसमें महाराष्ट्र की हिस्सेदारी करीब 20.7 लाख करोड़ रुपये होगी, जो अब लॉकडाउन की वजह से घट सकती है।’ रिपोर्टों के मुताबिक महाराष्ट्र सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है और उसका देश के जीवीए में करीब 15 फीसदी हिस्सा है। इसके बाद तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक का स्थान है। हालांकि इन राज्यों ने भी बंदिशें लगाई हैं, लेकिन वे महाराष्ट्र जितने बड़े पैमाने पर नहीं हैं। केयर रेटिंग्स ने कहा, ‘इन नए दिशानिर्देशों को मद्देनजर रखते हुए हमारा अनुमान है कि एक महीने के लॉकडाउन से करीब 40,000 करोड़ रुपये का जीवीए प्रभावित होगा। अगर लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो राज्य में उत्पादन और कम होगा।’

महाराष्ट्र: संक्रमण ज्यादा
क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक 29 मार्च से 4 अप्रैल तक के सप्ताह के दौरान करीब 55 फीसदी नए मामले महाराष्ट्र में आए हैं। फरवरी के मध्य से मामले बढऩे शुरू होने के बाद पूरे देश के स्तर पर खुदरा एवं मनोरंजन की जगहों पर लोगों की आवाजाही पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। लेकिन ज्यादा प्रभावित राज्यों, विशेष रूप से महाराष्ट्र में लोगों की आवाजाही अब कमजोर पडऩे लगी है। क्रिसिल ने कहा कि महाराष्ट्र में नए प्रतिबंधों से लोगों का घर से बाहर निकलना और कम होगा।

उम्मीद की किरण
इन सब घटनाक्रम के बावजूद नोमूरा के विश्लेषक अभी ज्यादा चिंतित नहीं हैं। हालांकि कुछ आपसी संपर्क आधारित सेवाएं (जैसे आतिथ्य) और परिवहन पर असर पडऩे के आसार हैं। लेकिन वे कम क्षमता स्तरों पर चल रहे है। उनका मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था पर दूसरी लहर का कम असर पड़ेगा। इसके अलावा देश में लोगों का टीकाकरण चालू है, जबकि पिछले साल टीका उपलब्ध नहीं था। नोमूरा के विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र के प्रतिबंध लगाने के बावजूद शेष अर्थव्यवस्था- कृषि, उद्योग और निर्माण, संचार, व्यापार जैसी सेवाओं पर ज्यादा असर पडऩे के आसार नहीं हैं।

First Published : April 6, 2021 | 12:45 AM IST