कर्नाटक और तमिलनाडु भी एटीएफ पर बिक्री कर कम करेंगे

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:32 PM IST

केरल और आंध्र प्रदेश में विमान ईंधन (एटीएफ) से बिक्री कर घटाए जाने के बाद तमाम हवाई सेवा प्रदाता राज्य में ईंधन लेने के लिए विभिन्न फ्यूल स्टेशनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।


एयर इंडिया, स्पाइस जेट, गो एयर और इंडिगो जैसी एयरलाइनें अब योजना बना रही हैं कि वे अपने वायुयानों में कोच्चि और हैदराबाद हवाईअड्डों पर ही ईंधन भरवाएं। इसका एकमात्र उद्देश्य है कि तेल के बढ़ते खर्च को कुछ कम किया जाए।


हवाई सेवा प्रदाताओं को यह भी उम्मीद है कि कर्नाटक और तमिलनाडु भी एटीएफ पर बिक्री कर कम करेंगे, जिससे दक्षिण भारत एटीएफ हब के रूप में उभरेगा।


वहीं हैदराबाद एयरपोर्ट ने संचालन के पहले दिन (16 मार्च) से ही अधिभार कम करने की घोषणा की है, केरल में कर छूट का लाभ 1 अप्रैल से मिलना शुरू होगा।


सस्ती दरों पर संचालित होने वाली जेट एयरवेज के सीईओ सिध्दांत शर्मा का कहना है कि हमारा आकलन है कि हैदराबाद एयरपोर्ट पर ईंधन लेने से एक महीने में 30 लाख रुपये की बचत होगी। इस तरह से ऐसी जगहों से ईंधन लेना निश्चित रूप से फायदेमंद साबित होगा जहां बिक्री कर कम है।


स्पाइस की योजना है कि हैदराबाद के लिए 6 अतिरिक्त हवाई उड़ानें शुरू की जाएं। यहां पहले से ही 13 हवाई उड़ानें संचालित होती हैं।


इसी तरह कंपनी कोच्चि के लिए वर्तमान में मात्र 1 साप्ताहिक उड़ान है, अब यहां के लिए दो उड़ानें शुरू करने की योजना बन रही है।


गो एयर के सीएफओ जीपी गुप्त का कहना है कि एटीएफ पर बिक्री कर 30 प्रतिशत से कम करके 4 प्रतिशत किए जाने का निश्चित ही प्रभाव पड़ेगा।


कंपनियों के हवाई संचालन के कुल खर्च में करीब 10 प्रतिशत की कमी आएगी। हमें उम्मीद है कि अन्य राज्य सरकारें भी केरल और आंध्र प्रदेश सरकारों का अनुकरण करेंगी।


इस समय उड़ानों के संचालन के कुल खर्च में एटीएफ का हिस्सा करीब 47 प्रतिशत होता है। एयलाइंस का कहना है कि एटीएफ दरों में कमी किए जाने का सीधा असर पड़ेगा, जिससे तत्काल राहत मिलेगी। इससे छोटी दूरी के लिए उड़ानें संचालित करने में फायदा होगा।


साथ ही अतिरिक्त ईंधन का लाभ दूसरे रूट के लिए नहीं मिल सकेगा, क्योंकि हवाईजहाज में ईंधन भरने की एक सीमा होती है।
एयर इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि हम एयरक्राफ्ट में ज्यादा ईंधन भरकर उसे वजनी नहीं बना सकते, जिससे लंबी दूरी तक उड़ानें संचालित की जाएं।


कम दूरी के लिए ही ईंधन भरना व्यावहारिक होगा। उदाहरण के लिए हैदराबाद से बेंगलुरु के लिए उड़ान पर कम कर की दर का सीधा असर पड़ेगा। इसमें कम कर वाले क्षेत्र से अधिक कर वाले क्षेत्र में उड़ान संचालित होगी।


हम कोशिश करेंगे कि हैदराबाद में ही ज्यादा ईंधन ले लें और फिर वापसी में वहीं से ईंधन लेना पड़े।
बहरहाल बिक्री कर में कमी किए जाने का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर नहीं पड़ेगा। खाड़ी देशों की तुलना में भारत में एटीएफ पर कर पहले ही 30 प्रतिशत ज्यादा है।


 इस तरह से यह सोचना कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के खर्च में कमी आएगी, गलत होगा। यह हैदराबाद और कोच्चि के मामले में भी लागू होता है। एयरलाइन्स एग्जीक्यूटिव का कहना है कि एयरपोर्ट का अधिक खर्च और अन्य अधिभार तेल की कीमतों के पड़ने वाले असर को कम कर देंगे।


स्पाइस जेट के एक अधिकारी ने कहा, एयरपोर्ट का खर्च कोच्चि में 40,000 रुपये आता है जबकि अगर यह खुद का होता है तो यह खर्च 6,000 रुपये आता है। एक बात यह भी है कि कोच्चि एयरपोर्ट नवंबर से 7 महीने के लिए बंद रहेगा।


 इसका भी असर उड़ानें संचालित करने वाली कंपनियों पर पड़ेगा। वे नई उड़ानें शुरू करने और वहां ईंधन भरे जाने के बारे में सोचेंगी।


साथ ही ओपन एक्सेस सिस्टम (जिसमें सरकारी के साथ ही निजी कंपनियां भी ईंधन आपूर्ति कर सकती हैं) लागू हो जाने के बाद हैदराबाद एयरपोर्ट के संचालक ईंधन आपूर्ति के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के नाम पर 2170 रुपये प्रतिमाह वसूल करेंगी। इसका बोझ भी एयरलाइंस पर पड़ेगा।


 साथ ही कुछ एयरलाइंस जैसे किंगफिशर पर तभी असर पड़ेगा, जब वे इन राज्यों से दिल्ली और मुंबई के लिए हवाई सेवाएं शुरू करें।


 

First Published : March 12, 2008 | 8:30 PM IST