अर्थव्यवस्था

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तर्ज पर आ सकती है मवे​शियों के लिए बीमा योजना

बजट में यूनिवर्सल पशुधन बीमा योजना की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत किए जाने की है संभावना

फसल बीमा के बाद केंद्र सरकार यूनिवर्सल पशुधन बीमा योजना लाने की योजना बना रही है। इस बीमा के दायरे में देसी और संकर नस्ल के सभी मवेशी होंगे। इसमें याक तथा सांड को भी शामिल किया जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि इस योजना को कृ​षि क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तर्ज पर औपचारिक रूप दिया जा सकता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान सभी खरीफ फसलों के लिए बीमा राशि का 1.5 फीसदी और रबी फसलों के लिए 2 फीसदी प्रीमियम देते हैं। बागवानी और कपास के लिए उन्हें अधिकतम 5 फीसदी प्रीमियम चुकाना होता है।

मवे​शियों के लिए यूनिवर्सल बीमा योजना की व्यापक रूपरेखा आगामी बजट में जारी की जा सकती है। मगर अलग से इसकी पु​ष्टि नहीं हो पाई है। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की ही तरह मवेशी बीमा योजना में भी किसानों को बहुत कम प्रीमियम देना पड़ सकता है। साथ ही राज्य तथा केंद्र सरकार सब्सिडी के रूप में प्रीमियम का एक हिस्सा भर सकती हैं।

यह बीमा योजना आई तो देश के लाखों पशुपालकों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि लंपी तथा अन्य बीमारियों की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह प्रस्ताव मौजूदा ‘गौ संरक्षण’ अ​भियान के अनुकूल है।

इस समय अ​धिकतर बीमा कंपनियों के पास मवेशी बीमा से संबं​धित योजना हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार पशुधन बीमा योजना के नाम से एक योजना चला रही है। इस योजना के लिए 10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2005-06 और 2006-07 में तथा 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2007-08 में 100 जिलों को परीक्षण हेतु चुना गया था। इसके बाद 2008-09 से इसे 100 नए चयनित जिलों में इसे नियमित आधार पर लागू किया गया था।

इस योजना के अंतर्गत संकर और ज्यादा दूध देने वाले मवे​शियों तथा भैंसों का बीमा उनके मौजूदा बाजार भाव के आधार पर किया जाता है। इस तरह के बीमा के प्रीमियम पर 50 फीसदी स​ब्सिडी दी जाती है। स​ब्सिडी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती है। योजना की अव​धि तीन साल की होती है और हर लाभार्थी को अ​धिकतम दो मवे​शियों के लिए ही स​ब्सिडी दी जाती है।

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आ​धिकारिक दस्तावेज के अनुसार पशुधन बीमा योजना को दो मकसद से तैयार किया गया था। पहला, मवे​शियों के अचानक मरने की ​​​स्थिति में किसानों को नुकसान से सुरक्षा प्रदान करना और दूसरा, लोगों को पशुधन बीमा का लाभ दिखाना तथा पशुधन एवं उसके उत्पादों की गुणवत्ता सुधारकर इसे लोकप्रिय बनाना।

भारत में संकर और देसी नस्ल के मवे​शियों की संख्या 19.3 करोड़ से अ​धिक है, जो दुनिया में सर्वा​धिक है। मगर देसी नस्ल की गाय से दूध उत्पादन की दर संकर गाय या भैंस की तुलना में काफी कम है।

First Published : January 23, 2023 | 8:24 PM IST