केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र अगले तीन से चार वर्षों में दोगुना होकर 200 अरब डॉलर से अधिक का हो जाएगा। उन्होंने कहा कि Union Budget 2025-26 में घोषित सुधारों से इसे बल मिलेगा।
बजट के बाद मीडिया के साथ बातचीत में वैष्णव ने कहा कि बजट कच्चे माल के लिए शुल्क ढांचे को तर्कसंगत बनाने और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में तैयार माल की भंडारण संबंधी उद्योग की चिंताओं को दूर करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘फिलहाल इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 25 लाख रोजगार मिले हुए हैं और अगले 4 साल में यह बड़ी आसानी से चार गुना हो जाएगा। अब बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हमारे देश में आएगा। इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण की सफलता को किसी अन्य क्षेत्र में भी आकार दिया जा सकता है।’
वैष्णव ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 लिथियम बैटरी के कबाड़, कोबाल्ट उत्पादों, जिंक, कुछ कच्चे माल और मोबाइल फोन बैटरी में उपयोग होने वाली वस्तुओं और जिंक पर बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) हटा दिया गया है। देश में बैटरी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह मौजूदा समय की मांग थी। बीसीडी में बदलाव के अलावा अगले वित्त वर्ष के बजट में इंडिया एआई मिशन के लिए भी 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य केंद्र स्तर पर अगले वित्त वर्ष के दौरान 20 एआई डेटा क्यूरेशन इकाइयां स्थापित करने का है जबकि देश भर के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में 80 एआई लैब भी स्थापित की जाएंगी।
बजट में आउटसोर्स्ड असेंबली और टेस्टिंग इकाइयों की स्थापना के लिए 3,900 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। पिछले साल के बजट में इसके लिए 2,500 करोड़ रुपये दिए गए थे। इसी तरह, भारत में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन इकाइयों की स्थापना के लिए भी करीब 2,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो साल 2024-25 के संशोधित अनुमान 1,200 करोड़ रुपये से अधिक है।
वैष्णव ने कहा कि विनिर्माण और नए निवेश में वृद्धि का सेवा क्षेत्र पर कई गुना असर पड़ेगा। उन्होंने शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) ढांचे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आईटी मंत्रालय उच्च मूल्य वाले जीसीसी की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम करेगा।