अर्थव्यवस्था

मैग्नेट के लिए जापान के साथ करार का फायदा उठाएगा भारत, IREL-Toyota समझौते पर फिर से करेगा विचार

चीन से मैग्नेट की आपूर्ति बाधित होने के कारण घरेलू स्टॉक में हो रही कमी एक प्रमुख चिंता बन गई है।

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पूजा दास   
Last Updated- June 13, 2025 | 11:04 PM IST

परिष्कृत दुर्लभ खनिज ऑक्साइड के निर्यात पर रोक लगाने के लिए दिए गए एक प्रस्ताव के बीच भारत जापान के साथ अपने 13 साल पुराने परिष्कृत दुर्लभ खनिज ऑक्साइड के निर्यात समझौते पर नए सिरे से विचार कर रहा है। इस मामले से जुड़े दो लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। चीन से मैग्नेट की आपूर्ति बाधित होने के कारण घरेलू स्टॉक में हो रही कमी एक प्रमुख चिंता बन गई है।

भारत और जापान की सरकारों ने 2012 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उसके तहत आईआरईएल इंडिया लिमिटेड (पूर्व में इंडिया रेयर अर्थ्स लिमिटेड) टोयोटा त्सुशो को दुर्लभ खनिज ऑक्साइड की आपूर्ति करती है जो उसे मैग्नेट के रूप में जापान को आपूर्ति करने के लिए परिष्कृत करती है।
एक व्यक्ति ने कहा, ‘संभवत: जापान को निर्यात रोकने का अनुरोध किया गया है। मगर जापान के साथ हमारी सरकार का एक दीर्घकालिक समझौता है। ऐसे में शायद हम निर्यात पर कुछ अंकुश लगाएंगे। अगर हम उन्हें दुर्लभ खनिज का निर्यात कर रहे हैं तो उन्हें भी बदले में हमें कुछ बेहतर देना चाहिए। इस प्रकार भारत और जापान के बीच व्यवस्था को नए सिरे से स्थापित किया जा सकता है।’

सरकार की चर्चा में शामिल रहे वाहन उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम केवल निर्यात करते रहे हैं और अब तक बदले में हमने कुछ भी नहीं मांगा है। मगर अब हमारा कहना है कि यदि आपको हमारा दुर्लभ खनिज चाहिए तो बदले में हमें मैग्नेट की आपूर्ति करें। जापान दुर्लभ खनिज के लिए हम पर निर्भर हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि जापान के साथ हम कोई तकनीकी समझौता करें जिसके तहत दोनों देशों के बीच मैग्नेट उत्पादन का दायरा बढ़ाया जाए। आप कुछ चुंबक बनाएं और हमें भी बनाने दें।’

उन्होंने कहा, ‘जापान के साथ हम अच्छी स्थिति में हैं। सरकार निश्चित तौर पर जापान से मैग्नेट हासिल करने के बारे में बात कर रही है ताकि हमारी 30-40 फीसदी जरूरतों को पूरा किया जा सके। जापान के मामले में हमारा सही मायने में दबदबा है क्योंकि उसके पास कच्चा माल नहीं है।’

इस मुद्दे पर जानकारी के लिए वाणिज्य, विदेश, भारी उद्योग और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालयों के सचिवों एवं प्रवक्ताओं और जापानी दूतावास को भेजे गए सवालों का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।

जापानी दूतावास के एक अधिकारी ने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला आसान नहीं है। हम कच्चे माल का आयात करते हैं और उसे परिष्कृत कर मैग्नेट बनाते हैं। उस मैग्नेट को मोटर में या घटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हम भारत को भी निर्यात कर रहे हैं मगर उसकी मात्रा मामूली है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम इस मुद्दे पर अपनी सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं।’

उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि टोयोटा त्सुशो ने आईआरईएल, एंटेलस, एनएफटीडीसी और मिडवेस्ट से प्राप्त कच्चे माल से करीब 1,000 टन मैग्नेट का उत्पादन किया।

आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मोनाजाइट खनिज रेत के भीतर महत्त्वपूर्ण परिष्कृत दुर्लभ खनिज ऑक्साइड जमा है। केरल की मोनाजाइट रेत विशेष रूप से समृद्ध है। भारत में दुर्लभ खनिजों का प्राथमिक स्रोत मोनाजाइट है जिसमें 55 से 50 फीसदी परिष्कृत दुर्लभ खनिज ऑक्साइड और थोरियम की मौजूदगी है। मोनाजाइट में नियोडिमियम और प्रेजोडिमियम भी मौजूद होते हैं जो इलेक्ट्रिक वाहन मोटर, पवन टर्बाइन, एयरोस्पेस, रक्षा आदि में उपयोग किए जाने वाले मैग्नेट बनाने के लिए दुर्लभ खनिज हैं।

साल 2023 तक भारत में मोनाजाइट का उत्पादन सालाना करीब 5,000 टन था, जबकि परिष्कृत करने की आईआरईएल इंडिया की क्षमता करीब 10,000 टन है। आधिकारिक बयान के अनुसार, 2032 तक दुर्लभ खनिज की उत्पादन क्षमता को सालाना 5 करोड़ टन तक बढ़ाने की योजना है।
जापान में एनडीएफईबी (नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन) मैग्नेट की मांग 7,500 टन होने का अनुमान है जबकि भारत की खपत 50,000 टन से अधिक है।

First Published : June 13, 2025 | 11:04 PM IST