प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 4 महीने के उच्च स्तर 0.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। खाद्य एवं विनिर्मत उत्पादों की कीमत में तेजी के कारण ऐसा हुआ है। जुलाई में थोक महंगाई 2 साल के निचले स्तर -0.58 प्रतिशत पर थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त महीने में प्राथमिक खाद्य वस्तुओं की अवस्फीति (-3.06 प्रतिशत) में कमी आई है। इसकी वजह गेहूं (4.75 प्रतिशत), दूध (2.58 प्रतिशत) और प्रोटीन वाले खाद्य जैसे अंडे, मांस और मछली (0.06 प्रतिशत) की कीमतों में बढ़ोतरी है। अन्य खाद्य वस्तुओं जैसे दलहन (-14.85 प्रतिशत) और सब्जियों (-14.18 प्रतिशत) की कीमत माह के दौरान बढ़ी है, लेकिन अब भी कीमतें अवस्फीति के क्षेत्र में बनी हुई हैं।
बहरहाल प्याज (-50.46 प्रतिशत), आलू (-44.1 प्रतिशत) और फलों (-4.86 प्रतिशत) की अवस्फीति इस माह के दौरान और बढ़ी है। आंकड़ों से आगे और पता चलता है कि विनिर्मित उत्पादों, जिनका सूचकांक में अधिभार 64 प्रतिशत होता है, की कीमत में अगस्त महीने में 2.55 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
विनिर्मित खाद्य उत्पादों (7.15 प्रतिशत), तेल और घी (22.9 प्रतिशत), तंबाकू (2.22 प्रतिशत), टेक्सटाइल (1.4 प्रतिशत), सीमेंट चूना और प्लास्टर (4.23 प्रतिशत) सेमी फर्निश्ड स्टील (1.31 प्रतिशत) व अन्य वस्तुओं की कीमतों में आई तेजी के कारण ऐसा हुआ है।
बहरहाल विनिर्मित बेवरिजेज (1.19 प्रतिशत) और अपैरल (1.96 प्रतिशत), चमड़ा (2.4 प्रतिशत), लकड़ी के उत्पाद (0.33 प्रतिशत) और कागज के उत्पादों (0 प्रतिशत) की कीमतों में इस माह के दौरान गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर ईंधन और बिजली (-3.2 प्रतिशत) की कीमतों में अगस्त महीने में और गिरावट आई है, क्योंकि इन जिंसों खासकर खनिज तेज की वैश्विक कीमत घटी है। इसकी वजह से पेट्रोल, हाई स्पीड डीजल की कीमत लगातार क्रमशः 15वें और 28वें महीने कम हुई है। रसोई गैस (-1.22 प्रतिशत) की कीमत भी 4 महीने में पहली बार कम हुई है।
इक्रा रेटिंग्स में वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि प्रतिकूल आधार के असर के साथ थोक महंगाई दर में 2 महीने के बाद अगस्त में बदलाव होने की उम्मीद थी और यह सभी व्यापक सेग्मेंट में हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘इक्रा को उम्मीद है कि सितंबर में भी समग्र थोक महंगाई दर 6 महीने के उच्च स्तर 0.9 प्रतिशत पर रहेगी। इस पर सालाना आधार पर कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों और जिंसों के दाम में तेजी का असर होगा। साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने का भी असर होगा।’