अर्थव्यवस्था

India-US: ट्रंप की सत्ता में वापसी से भारत पर क्या असर? सरकार सतर्क, जानें क्या बदल सकता है

ट्रम्प की वापसी का असर भारत में ई-कॉमर्स, क्रिप्टोकरेंसी और लैपटॉप आयात पर बनने वाले नए नियमों पर भी देखा जा सकता है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- November 07, 2024 | 11:01 PM IST

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के फिर से राष्ट्रपति बनने के बीच भारत सरकार इसके असर को समझने में जुटी है। नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि ट्रम्प के नए कार्यकाल में नीतियां पिछली बार से “काफी अलग” हो सकती हैं, जिससे भारत में कारोबार पर असर पड़ने की संभावना है।

अमेरिका का बदलाव, भारत पर असर

सुब्रमण्यम ने बताया कि अमेरिका, जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी, वहां होने वाले किसी भी बदलाव का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। फिलहाल, अमेरिका में कई राज्यों में वोटों की गिनती जारी है और नए प्रशासन को पूरी तरह कामकाज संभालने में कुछ महीने लग सकते हैं। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रम्प की नई नीतियां इस बार और भी सख्त हो सकती हैं, जिससे भारत के व्यापार पर असर पड़ सकता है। ट्रम्प की वापसी का असर भारत में ई-कॉमर्स, क्रिप्टोकरेंसी और लैपटॉप आयात पर बनने वाले नए नियमों पर भी देखा जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय नीतियों पर ट्रम्प का प्रभाव

थिंक टैंक GTRI के प्रमुख अजय श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में अमेरिका ने व्यापार, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसे कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से दूरी बना ली थी। हालांकि, 2021 में जो बाइडन के सत्ता में आने के बाद इन नीतियों को और सख्ती से लागू किया गया। अब ट्रम्प की वापसी से भारत के सामने नई चुनौतियां आ सकती हैं।

श्रीवास्तव का मानना है कि ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में नीतियां पहले से भी ज्यादा सख्त हो सकती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को चीन पर निर्भरता घटाने और स्थानीय विनिर्माण बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, भले ही अमेरिका का रुख कुछ भी हो।

मल्टी-ब्रांड रिटेल में FDI पर अमेरिका का दबाव

CUTS इंटरनेशनल के महासचिव प्रदीप एस मेहता ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों के दबाव के चलते अमेरिका, भारत पर मल्टी-ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश (FDI) के नियमों को उदार बनाने का दबाव बनाए रख सकता है। हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है कि मल्टी-ब्रांड रिटेल से स्थानीय किराना दुकानदारों और छोटे व्यापारियों पर बुरा असर पड़ेगा।

WTO में ट्रम्प का रुख

काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने कहा कि वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के मामलों पर भी भारत को नज़र रखनी होगी। ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में अमेरिका ने WTO की अपीलीय बॉडी में नियुक्तियों को रोक दिया था, जिससे यह संस्था लगभग ठप हो चुकी है।

भारत के लिए यह एक अहम समय है, क्योंकि अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों और नीतियों में बदलाव का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

First Published : November 7, 2024 | 7:28 PM IST