भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण से संबंधित वार्ता में वस्तुओं पर शुल्क घटाने सहित भारत की डिजिटल सेवाओं को उदार बनाने पर गहन चर्चा हो रही है। मामले से अवगत लोगों ने इसकी जानकारी दी। सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अमेरिकी अधिकारियों का एक दल भारत आया हुआ है। यूएसटीआर प्रतिनिधिमंडल वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के साथ तीन दिन गहन चर्चा करेगा जिसकी शुरुआत बुधवार को हुई थी। इस चर्चा में प्रस्तावित व्यापार समझौते की रूपरेखा को इस महीने के अंत तक अंतिम रूप देने का विचार है।
दोनों देशों ने साल के अंत तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा है। मामले के जानकार एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि डिजिटल सेवाओं के मामले में भारत का डेटा स्थानीयकरण मानदंड अमेरिकी कंपनियों के लिए चिंता का सबब रहा है। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत हाल में जारी किए गए मसौदा नियमों में सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि डेटा को अनिवार्य रूप से भारत में संग्रहीत किया जाना चाहिए।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम के प्रस्ताव पर अमेरिकी कंपनियों ने आपत्ति जताई है क्योंकि उनका कहना है कि इससे कारोबार को लेकर अनिश्चितता पैदा हो सकती है।
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स (यूएससीसी) ने भी भारत में स्थानीय सामग्री की सख्त आवश्यकताओं पर यूएसटीआर के साथ अपनी चिंता साझा की है और प्रमुख क्षेत्रों में ‘प्रतिस्पर्धी तटस्थता’ की मांग की है। अमेरिका भारत को इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन पर सीमा शुल्क लगाने से रोकने के लिए ई-कॉमर्स को स्थायी छूट देने का दबाव बना रहा है। हालांकि ई-कॉमर्स पर मॉरेटोरियम का मुद्दा विश्व व्यापार संगठन की मंत्रिस्तरीय बैठक के प्रमुख एजेंडा में से एक है लेकिन अमेरिका द्विपक्षीय आधार पर इस पर भारत से प्रतिबद्धता मांग सकता है। विश्व व्यापार संगठन मॉरेटोरियम के अनुसार कोई भी देश सीमा पार ई-कॉमर्स लेनदेन पर सीमा शुल्क नहीं लगाते हैं। करीब दो दशकों से विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश समय-समय पर मॉरेटोरियम बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं मगर इस मुद्दे पर उनमें मतभेद भी रहे हैं। भारत जैसे विकासशील देश का मानना है कि इस तरह के प्रतिबंध ने उसके राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
व्यापार वार्ता में भारत की प्राथमिकता अमेरिका में कुशल पेशेवरों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करना है। एच1बी वीजा धारकों की संख्या पर सीमा हटाना भारत की प्रमुख मांग रही है क्योंकि ऐसा होने से वीजा धारकों की इस श्रेणी के लिए अनिश्चितता कम होगी। इस सप्ताह की शुरुआत में भारत नेअनिवासी इकाइयों द्वारा प्रदान की जाने वाली ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर 6 फीसदी समान शुल्क हटा दिया। इससे गूगल, मेटा और एक्स जैसी कंपनियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। इस कदम को अमेरिका की चिंताओं को कम करने के उपाय के रूप में देखा जा रहा है। यह घटनाक्रम अमेरिका द्वारा व्यापार भागीदार देशों पर बराबरी वाला शुल्क लागू किए जाने से पहले हुआ है। अमेरिका कृषि, वाहन और शराब जैसे क्षेत्रों में शुल्क कटौती की अपनी मांग को लेकर मुखर रहा है। दूसरी ओर भारत कपड़ा, चमड़ा जैसे उत्पादों पर शुल्क घटाने के लिए बातचीत कर रहा है।