अर्थव्यवस्था

भारत-अमेरिका व्यापार करार, फार्मा-स्टील पर मिले छूट; भविष्य की चुनौतियों से निपटने पर जोर

भारत ने 1 अप्रैल से विदेशी कंपनियों की ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगने वाले 6 फीसदी इक्वलाइजेशन लेवी को खत्म कर दिया था जिसे गूगल टैक्स के नाम से भी जाना जाता है।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- July 21, 2025 | 11:24 PM IST

अमेरिका, भारत पर तथाकथित ‘गूगल टैक्स’ को फिर से लागू न करने का दबाव बना रहा है वहीं दूसरी तरफ भारत जारी व्यापार समझौता वार्ता के तहत फार्मास्यूटिकल्स निर्यात पर भविष्य के संभावित शुल्कों से सुरक्षा चाह रहा है। भारत ने 1 अप्रैल से विदेशी कंपनियों की ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगने वाले 6 फीसदी इक्वलाइजेशन लेवी को खत्म कर दिया था जिसे गूगल टैक्स के नाम से भी जाना जाता है।

इस कदम की घोषणा मार्च महीने में हुई थी और इस कदम का मकसद अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को सकारात्मक संकेत देना था जिन्होंने उच्च शुल्क लगाने वाले देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की धमकी दी थी। गूगल टैक्स को खत्म करने के भारत के इस कदम से गूगल के अलावा मेटा और एक्स (पहले ट्विटर) जैसी अमेरिका की प्रौद्योगिकी कंपनियों को फायदा हुआ।

एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हमने इक्वलाइजेशन लेवी पहले ही खत्म कर दी है लेकिन इसे व्यापार समझौते में फिर से शामिल न करने का प्रावधान जोड़ना एक गलत मिसाल कायम कर सकता है।’ भारत आमतौर पर व्यापार समझौतों के तहत कर संबंधी मामलों पर कोई स्वतंत्र प्रतिबद्धता नहीं जताता है।

भारत अपनी तरफ से फार्मास्यूटिकल निर्यात पर भविष्य के शुल्कों से सुरक्षा चाहता है। शुल्क 31 जुलाई से लगाए जाने का अनुमान है। भारत या तो इन शुल्कों से छूट चाहता है या फिर इन्हें लागू करने के लिए लंबी समय-सीमा चाहता है। अधिकारी ने कहा, ‘इससे भारतीय दवा कंपनियों के लिए अधिक स्पष्ट स्थिति बनेगी।’

ट्रंप ने दवा कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन प्रक्रिया फिर से शुरू करने पर 200 प्रतिशत फार्मा शुल्क लगाने की धमकी दी है। ट्रंप ने पिछले हफ्ते संवाददाताओं से कहा, ‘संभवतः महीने के अंत तक, हम कम शुल्क के साथ शुरुआत करेंगे और फार्मास्यूटिकल कंपनियों को एक साल या उससे थोड़ा अधिक समय देंगे ताकि वे अपने आप को मजबूत कर सकें और इसके बाद हम उन पर अधिक शुल्क लगाएंगे।’

इसके अतिरिक्त भारत, प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत स्टील और एल्यूमीनियम के साथ-साथ वाहन पर 25 फीसदी शुल्क से कम से कम ‘कोटा आधारित राहत’ की मांग भी कर रहा है। एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे शुल्क धारा 232 के तहत, राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए लगाए गए थे और अमेरिका की अदालत में इन्हें चुनौती देने की संभावना नहीं है। ऐसे में हम प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत ही समाधान चाहते हैं।’

भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए धारा 232 के शुल्कों को सुरक्षा शुल्क करार दिया है और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को यह सूचना दी है कि इसके पास जवाबी कार्रवाई का अधिकार है। हालांकि अमेरिका ने भारत के इस दावे को खारिज कर दिया है और कहा है कि भारत के पास जवाबी कार्रवाई करने का कोई कानूनी आधार नहीं है क्योंकि ऐसे शुल्क राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए गए थे।

First Published : July 21, 2025 | 10:44 PM IST