भारत ने अमेरिका की रेटिंग फर्म मूडीज (Moody’s) से अपनी सॉवरेन रेटिंग (sovereign rating) में अपडेट करने के लिए कहा है और साथ ही रेटिंग एजेंसी के मापदंडों पर भी सवाल उठाया, जिनके आधार पर वह रेटिंग तय करती है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सॉवरेन रेटिंग की अपनी वार्षिक समीक्षा से पहले मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के अधिकारियों ने भारत सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारतीय इकॉनमी में सुधारों और मजबूत बुनियादी बातों पर प्रकाश डाला।
हायर रेटिंग का क्या फायदा ?
भारत के लिए एक हायर रेटिंग का मतलब होगा कि देश में पैसा लगाने पर जोखिम कम है और कम ब्याज दरों पर उधार पर उपलब्ध है। बता दें कि मूडीज इवेस्टर्स सर्विस ने भारत को स्टेबल आउटलुक के साथ Baa3 रेटिंग दी हुई है, जो निवेश का सबसे निचला ग्रेड है।
बैठक के बाद एक अधिकारी ने कहा, “मूडीज ने भारतीय इकॉनमी के पॉजिटिव पहलुओं को स्वीकार किया है। हमें उम्मीद है कि मूडीज हमारी रेटिंग को अपग्रेड करेगी।”
अधिकारियों ने मूडीज से इसके रेटिंग तय करने वाले मापदंडों पर भी सवाल उठाए।
अधिकारियों ने भारत में चल रहे आर्थिक सुधारों को रखने के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट और 600 अरब डॉलर के फोरेक्स रिजर्व का भी हवाला दिया। साथ ही सरकारी अधिकारियों ने मूडीज से इसके रेटिंग तय करने वाले मापदंडों पर भी सवाल उठाए।
भारत दरअसल लंबे समय से क्रेडिट रेटिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की तरफ से अपनाई जा रही कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता रहा है और उन्हें अधिक पारदर्शी और कम सब्जेक्टिव बनने के लिए कहता आ रहा है।
इसलिए रेटिंग को अपग्रेड करने पर जोर
सरकार ने पिछले दो वर्षों में बड़े पैमाने पर अपने अपने फिस्कल टारगेट को पूरा किया है। देश का फिस्कल डेफिसिट वित्त वर्ष 2022-23 में GDP के 6.4 प्रतिशत तक सीमित हो गया, जो 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का 6.7 प्रतिशत था।
साथ ही 2022-23 में भारत का जीडीपी 7.2 फीसदी रहा है जो उसे दुनिया में सबसे तेजी गति विकास करने वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में रखता है। रिटेल महंगाई दर भी 18 महीने के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर आ चुकी है और 2023-24 में भी 6.5 फीसदी के दर आर्थिक विकास की संभावना जताई जा रही है। यही वजह है सरकार भारत की रेटिंग को अपग्रेड करने पर जोर दे रही है।