अर्थव्यवस्था

अमेरिका से ज्यादा क्रूड ऑयल खरीद रहा भारत, प्रंतिबंधों के कारण रूस से आयात प्रभावित

BPCL और IOL ने टॉप प्राइवेट रिफाइनर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के साथ मिलकर इस महीने अब तक अप्रैल में लोड होने वाले अमेरिकी क्रूड ऑयल की लगभग 7 मिलियन बैरल खरीदी है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- March 19, 2024 | 3:59 PM IST

भारतीय तेल कंपनियां लगभग एक साल में अमेरिका से सबसे ज्यादा कच्चा तेल (Crude Oil) खरीदेने की राह पर है। अमेरिकी प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने से रूस के साथ व्यापार प्रभावित हुआ और तेल कंपनियों को सप्लाई के लिए अन्य विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।

भारत ने अमेरिका से 7 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल खरीदा

रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOL) ने टॉप प्राइवेट रिफाइनर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के साथ मिलकर इस महीने अब तक अप्रैल में लोड होने वाले अमेरिकी कच्चे तेल की लगभग 7 मिलियन बैरल खरीदी है। केप्लर के अनुसार, मई के बाद से यह सबसे बड़ी मासिक मात्रा होगी।

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से भारत में रूसी कच्च तेल का आयात बढ़ गया और ओपेक+ निर्माता (OPEC+ producer) अभी भी देश के सबसे बड़े सप्लायर हैं, लेकिन अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के कारण माल फंस गया है और छूट कम हो गई है। भारत ने हाल ही में सऊदी अरब से भी खरीदारी बढ़ा दी है।

भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल और रिलायंस ने इस विषय पर टिप्पणी के आग्रह वाले ब्लूमबर्ग के ई-मेल का तत्काल कोई जवाब नहीं दिया।

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अधिकांश अमेरिकी कच्चा तेल WTI मिडलैंड से आया

रिपोर्ट में व्यापारियों के हवाले से कहा गया कि इस महीने अधिकांश अमेरिकी कच्चा तेल वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट मिडलैंड (WTI Midland) से खरीदा गया और इसकी डिलिवरी लागत मिडिल ईस्ट के बैरल से ज्यादा है। प्रतिंबंधों के कारण रूस का सोकोल ऑयल (Russia’s Sokol oil) जिसकी तुलना WTI मिडलैंड से की जाती है, सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों के अधिकारियों ने रिपोर्ट में नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि WTI मिडलैंड से लाए जाने वाले कच्चे तेल से ज्यादा पेट्रोल और डीजल का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में लोकसभा चुनावों के कारण लोगों की आवाजाही, बढ़ती बिजली उत्पादन और फसल की कटाई के कारण ईंधन की ज्यादा खपत होने की उम्मीद है।

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2021 में भारत के आयात में अमेरिकी कच्चे तेल की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत

उद्योग सलाहकार FGE के एक विश्लेषक डायलन सिम ने कहा, “सोकोल से कच्चे तेल के आयात में आने वाली समस्याओं को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारतीय रिफाइनरियां बेहतर विकल्प के रूप में अमेरिकी WTI मिडलैंड की ओर रुख कर रही हैं।”

सिम के अनुसार, 2021 में भारत के आयात में अमेरिकी कच्चे तेल की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत थी, लेकिन पिछले दो वर्षों में यह घटकर 4 प्रतिशत रह गई, क्योंकि रूस ने अपनी बाजार हिस्सेदारी का विस्तार किया।

देश के पश्चिमी बंदरगाहों से यूराल सहित अन्य रूसी कच्चे तेल की किस्में भी प्रतिबंधों के सख्ती से लागू होने से प्रभावित हुई हैं। ग्रेड ले जाने वाले दो टैंकर कई हफ्तों से भारतीय तट पर खड़े हैं।

ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित केप्लर डेटा के अनुसार, पिछले महीने भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात लगभग 40 मिलियन बैरल था। दूसरे शब्दों में कहे तो यह देश की कुल तेल और कंडेनसेट खरीद का लगभग 30 प्रतिशत है। 2023 के दौरान, भारतीय बाजार में रूस की हिस्सेदारी औसतन 39 प्रतिशत रही।

First Published : March 19, 2024 | 3:59 PM IST