India-China Trade: भारत और चीन के बीच गहराता तनाव अब व्यापार में भी दिखने लगा है। 1900 के पहले का एक दौर था जब भारत के कई बड़े उद्योगपति जैसे टाटा ग्रुप (Tata Group) और वाडिया ग्रुप (Wadia Group) को अपने व्यापार का विशाल साम्राज्य खड़ा करने में मदद मिली। 19वीं सदी यानी 1800 की बात की जाए तो एक और दिलचस्प बात सामने निकल कर आती है। डेटा से पता चलता है कि उस समय दुनिया भर के व्यापार (global trade) का 50 फीसदी हिस्सा सिर्फ भारत और चीन के बीच होता था।
मगर अब देखा जाए तो दोनों देशों के बीच व्यापार के हालिया आंकड़े एक अजीब स्थिति दर्शाते हैं। भारत से चीन को जाने वाला माल चीन से भारत आने के मुकाबले काफी कम है। चीन भारत को अरबों डॉलर ज्यादा का माल निर्यात करता है। दोनों देशों के सरकारी आंकड़ों के आधार पर बिज़नेस स्टैंडर्ड की कैलकुलेशन से पता चलता है कि जनवरी तक यह अंतर बढ़कर 19 अरब डॉलर हो गया है।
ऐसी स्थितियां दूसरे देशों में भी देखी गई है और इस तरह की विसंगतियों के कई मायने हो सकते हैं। इन अंतरों की कैलकुलेशन करते समय देखा जाता है कि क्या उसमें माल ढुलाई और बीमा लागत (freight and insurance costs ) शामिल है या क्या शिपमेंट मूल्यों (shipment values) का हिसाब उस अंतिम देश या मूल देश (country of origin) द्वारा किया जाता है, जहां से निर्यात किया गया है। इसके अलावा, व्यापार धोखाधड़ी एक और मामला हो सकता है जिसके चलते कैलकुलेशन में खामियां आ सकती हैं। व्यापार धोखाधड़ी में भुगतान किए गए टैरिफ को कम करने के लिए माल का कम मूल्य दिखाना शामिल होता है।
2023 के भारत सरकार के एक अध्ययन में कहा गया है कि चीन के साथ देश की व्यापार विसंगति (trade discrepancy) वस्तुओं की पांच कैटेगरीज में स्पष्ट है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इन कैटेगरीज के लिए लेटेस्ट उपलब्ध डेटा को देखा। FY24 (वित्त वर्ष 24) के जनवरी के डेटा के मुताबिक, चीन और भारत की सरकारों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में अंतर 36.9 करोड़ डॉलर से लेकर 7 अरब डॉलर से ज्यादा है।
सबसे बड़ा अंतर विद्युत मशीनरी (electrical machinery), उपकरण (equipment) और संबंधित वस्तुओं के लिए है। पांच कैटेगरीज में से हर कैटेगरीज के माल का आयात भारत के कुल आयात के मुकाबले तेजी से बढ़ा है, जिसका मतलब है कि व्यापार विसंगति जल्द ही कम नहीं हो सकती है। चार कैटेगरीज में चीन से कुल आयात (overall imports) के मुकाबले ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई।
चीन से कुल आयात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले जनवरी 2024 तक 2.6 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है जबकि ऑयरन और स्टील के आयात में 26.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं सभी देशों से भारत को आयात का टोटल आंकड़ा देखा जाए तो जनवरी में कुल आयात 6.9 फीसदी कम हुआ है।
आंकड़े जारी करते समय उन कारणों पर विचार नहीं किया जा रहा है जो व्यापार डेटा विसंगतियों को एक्सप्लेन कर सकते हैं। भारत सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा पार व्यापारों (cross-border trade ) में कई तरह के भेदभाव और अनियमितताएं हैं, जिसे लेकर रिपोर्टिंग भी कम की जाती है।
सरकारी रिपोर्ट का कहना है कि एक विस्तृत जांच ऐसे मामले को साफ करने में काफी फायदेमंद हो सकती है। अगर ऐसा हो जाता है तो सरकारी खजाने में आने वाली रकम यानी राजस्व राजकोष (revenue exchequer) में भी नुकसान कम झेलना पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय रिसर्च से पता चलता है कि बाधाओं के साथ व्यापार विसंगतियां बढ़ती हैं। अगर यह सच है, तो भारत द्वारा चीन से हो रहे आयात पर बाधाएं बढ़ाने की चर्चा और बीजिंग के पहले से ही लागू प्रतिबंधों के बीच विसंगतियां और बढ़ सकती हैं।