मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (CEA) ने शुक्रवार को कहा कि ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी समस्या है, लेकिन भारत इसके लिए विकास की कुर्बानी नहीं दे सकता है।
बंगाल चैंबर आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री की ओर से आयोजित इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में अपने वर्चुअल संबोधन में मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कम अवधि के हिसाब से हमें जीवाश्म ईंधन की जरूरत है और सबसे अहम यह है कि हमें हरित बदलाव में अपने संसाधनों का इस्तेमाल करना है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि और ऊर्जा में बदलाव एक दूसरे के विरोधाभासी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह एक दूसरे के पूरक हैं।
सीईए ने कहा, ‘इसलिए भारत को अपनी बेहतरी के हिसाब से खड़े रहना होगा जिसमें आने वाले वर्षों में आर्थिक वृद्धि पर बल देना है और जलवायु लक्ष्यों को लेकर बहुत ऊहापोह में नहीं पड़ना है, जिसमें भारत अन्य देशों की तुलना में बहुत आगे है।’
सीईए ने कुछ ढांचागत सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने जनधन योजना, आधार, बैंकिंग व्यवस्था को साफ सुधरा करने, एकल अप्रत्यक्ष कर दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता, रियल एस्टेट रेगुलेशन ऐक्ट जैसे तमाम कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि साथ ही कारोबार सुगमता के लिए लगातार कवायद की जा रही है। कानूनों को अपराध मुक्त किया गया है और प्रचलन से बाहर हो चुके कानूनों को हटाया गया है।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से हमारी वृद्धि दर वित्त वर्ष 22 में 9.1 प्रतिशत, वित्त वर्ष 23 में 72 प्रतिशत रही है और इस साल 6.5 प्रतिशत वृद्धि दर दर्ज कर रहे हैं।