वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले 10 वर्ष के कार्यकाल में कर्मचारियों के वेतन में औसतन 11.1 फीसदी चक्रवृद्धि देखी गई है, जबकि इनमें कोविड के बाद वाले साल भी शामिल हैं। उन्होंने उद्योग जगत में उत्पादन के कारकों को पुनः निर्धारित करने तथा रोबोटिक्स और वेब थ्री संचालित उत्पादन के कारण हो रहे बदलावों पर प्रकाश डाला।
सीतारमण ने द्वितीय अनुपूरक अनुदान मांगों और मणिपुर के लिए वित्त वर्ष 2026 के बजट पर जारी चर्चा के दौरान कहा, ‘कोविड का एक दीर्घावधि प्रभाव काम करने के ढंग पर पड़ा है। लोगों घर से काम करना पसंद कर रहे हैं या वे पूरे समय काम नहीं करना चाहते हैं।’
नवीनतम आर्थिक समीक्षा ने कंपनियों के लाभ और वेतन वृद्धि में व्यापक अंतर को उजागर किया था। इसमें जोर दिया गया है कि लाभ वृद्धि को वेतन वृद्धि के अनुरूप होना चाहिए। यह देश में सतत मांग, कॉरपोरेट राजस्व को बढ़ाने में मदद करने और मध्यावधि से दीर्घावधि की लाभप्रदता वृद्धि के लिए अनिवार्य है।
वित्त मंत्री ने बताया कि जीडीपी के अनुपात में भारत के परिवारों का ऋण कई विकासशील देशों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहद कम है। वित्त मंत्री ने बताया, ‘लोग इसके (परिवार के ऋण) भारत में अधिक होने के बारे में बातचीत कर रहे हैं जैसे कि यह कोविड को हमारे संभालने के तरीके की वजह से हो। मुझे माफ करें, वे लोग गलत हैं।’सीतारमण ने कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम विफल नहीं हुआ है और इससे देश में विनिर्माण को व्यापक तेजी मिली है। उन्होंने बताया कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बाहरी समस्याओं की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है और इसकी वजह घरेलू नहीं है।
वित्त मंत्री ने बताया कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (पीएलआई) ने 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है और इसने 9,50,000 नौकरियों का सृजन किया। उन्होंने भारत के घरेलू रक्षा उत्पादन का जिक्र करते हुए कहा कि यह 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। सीतारमण ने उदाहरण देकर बताया कि बिहार में बने जूते अब रूस की सेना के साजोसामान का हिस्सा बन गए। उन्होंने यूपीए सरकार के कार्यकाल में त्वरित ढंग से किए गए मुक्त व्यापार समझौते की निंदा करते हुए कहा कि इन समझौतों की पुन: समीक्षा के दौरान वाणिज्य मंत्रालय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया
सीतारमण ने धन शोधन और दिवाला अधिनियम (आईबीसी) में छूट यानी कर्जमाफी के मामलों से संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि इन्हें बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि उधारी देने वालों ने आईबीसी के तहत परिसमापन मूल्य का 169 फीसदी वसूला। सीतारमण ने बताया, ‘निर्धारित प्रक्रियाएं परिसमापन मूल्य के बारे में बताती हैं जिसके आधार पर आप वसूली करते हैं। जब आप आईबीसी समाधान की बात करते हैं तो इसकी ही गणना की जाती है.. मेरे अनुसार दावों के मूल्य के हिसाब से इसे देखना सही नहीं है कि कितनी छूट दी गई।’