अर्थव्यवस्था

In Parliament: Ease of Doing Business, Ease of Living के लिए सरकार करेगी 355 प्रावधानों में संशोधन

केंद्र सरकार ने जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा में पेश किया। 16 केंद्रीय अधिनियमों (Central Acts) के 355 प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा।

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निमिष कुमार   
Last Updated- August 18, 2025 | 8:12 PM IST

केंद्र सरकार ने सोमवार को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य देश में व्यापार करने की सुगमता (Ease of Doing Business) और आम लोगों के जीवन को सरल (Ease of Living) बनाना है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह विधेयक लोकसभा में भारी शोरगुल के बीच पेश किया, जहां विपक्ष बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण समेत अन्य मुद्दों पर बहस की मांग कर रहा था।

इस विधेयक के ज़रिए 16 केंद्रीय अधिनियमों (Central Acts) के 355 प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा, जिनमें से:

  • 288 प्रावधानों को डिक्रिमिनलाइज (अपराध की श्रेणी से हटाया) किया जाएगा,
  • 67 प्रावधानों को आम लोगों के जीवन को आसान बनाने (Ease of Living) के लिए संशोधित किया जाएगा।

यह विधेयक 2023 में पारित पहले जन विश्वास कानून की तर्ज़ पर लाया गया है, जिसमें 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया था।

  • पहली बार गलती करने वालों को 76 मामलों में अब सिर्फ चेतावनी या सलाह दी जाएगी।
  • सामान्य, तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी त्रुटियों पर अब जेल की सजा नहीं, बल्कि वित्तीय दंड या चेतावनी दी जाएगी।
  • दंडों का युक्तिकरण: दोहराव पर जुर्माना बढ़ाया जाएगा, लेकिन पहली बार पर सख्त सजा नहीं होगी।
  • प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत दंड लगाने का अधिकार अधिकारियों को मिलेगा, जिससे न्यायपालिका पर बोझ घटेगा।
  • हर तीन साल में जुर्माने में 10% वृद्धि का प्रस्ताव ताकि उसका प्रभाव बना रहे और हर बार संशोधन की आवश्यकता न हो।

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किन कानूनों में होंगे बड़े बदलाव?

  • मोटर वाहन अधिनियम, 1988:
    • ड्राइविंग लाइसेंस की समाप्ति के बाद 30 दिनों की छूट,
    • पूरे राज्य के लिए वाहन पंजीकरण की सुविधा,
    • देरी से दायर क्लेम पर अधिकतम 12 महीने की छूट।
  • नई दिल्ली नगर परिषद अधिनियम, 1994 (NDMC Act):
    • संपत्ति कर के लिए पुरानी ‘रेटेबल वैल्यू’ विधि हटाकर यूनिट एरिया मेथड लाना।
  • अप्रेंटिस अधिनियम, 1961: अप्रूवल के बिना ओवरटाइम कराने पर अब चेतावनी दी जाएगी, पहले ₹1,000 का जुर्माना था।
  • केंद्रीय रेशम बोर्ड अधिनियम, 1948: झूठा बयान देने या जांच में बाधा डालने पर अब जेल की सजा नहीं, केवल चेतावनी/जुर्माना।

यह विधेयक अब लोकसभा की चयन समिति (Select Committee) को भेज दिया गया है, जो अगला संसद सत्र शुरू होने से पहले अपनी रिपोर्ट देगी। समिति के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष द्वारा तय किए जाएंगे।

वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 भारत की नियामक सुधार यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के सिद्धांत पर आधारित है और सतत आर्थिक विकास के लिए एक उत्प्रेरक साबित होगा।”

इस विधेयक से 10 मंत्रालय/विभाग और 16 केंद्रीय कानून प्रभावित होंगे, जिनमें शामिल हैं:

  • मोटर वाहन अधिनियम
  • चाय अधिनियम, 1953
  • औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940
  • विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009
  • केंद्रीय रेशम बोर्ड अधिनियम
  • नई दिल्ली नगर परिषद अधिनियम

जन विश्वास विधेयक, 2025 देश में न्यायिक प्रणाली पर दबाव कम करने, व्यापार में पारदर्शिता लाने, और छोटे अपराधों के लिए कड़े दंडों को समाप्त करने की दिशा में सरकार का एक सुधारात्मक कदम है। इससे न केवल व्यापारियों और उद्यमियों को राहत मिलेगी, बल्कि आम नागरिकों को भी सरल, न्यायोचित और पारदर्शी व्यवस्था का लाभ मिलेगा।

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First Published : August 18, 2025 | 8:03 PM IST