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बिजली उत्पादन के लिए कोयला आयात जरुरी नही.

Last Updated- December 11, 2022 | 5:07 PM IST

केंद्र द्वारा सभी बिजली उत्पादकों को बिजली उत्पादन के लिए आयातित कोयले का ‘अनिवार्य रूप से’ मिश्रण करने का निर्देश देने के बाद केवल तीन महीने में ही अब यह निर्देश रद्द कर दिया गया है। अगर जरूरत पड़ती है, तो कोयला आयात करने का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया गया है। यह कदम कई राज्यों की आनाकानी के मद्देनजर उठाया गया है, जिन्होंने कहा था कि वे आयातित कोयले की वजह से अ​धिक शुल्क का भुगतान नहीं करेंगे। बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र इस होड़ में सबसे आगे थे। 
इस क्षेत्र के अ​धिकारियों ने कहा कि मिश्रित आयातित कोयले के कारण बिजली के दामों में प्रति यूनिट 50 से 70 पैसे का इजाफा हो गया है, जिसका बोझ ग्राहकों को उठाना पड़ेगा। उत्पादन करने वाली सभी इकाइयों में एनटीपीसी ने अब तक सबसे अधिक 62.5 टन आयात किया है तथा 1.5 लाख टन और आयात करने की प्रक्रिया में है। आयातित कोयला घरेलू कोयले के मुकाबले पांच गुना अ​धिक महंगा पड़ता है। 

केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने मंगलवार को एक आदेश में कहा कि उसने कोयला स्टॉक की स्थिति की समीक्षा की है और यह सरकारी स्वामित्व वाली बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनको) में अलग-अलग है। आदेश में कहा गया है कि कई राज्यों में स्टॉक मानक स्तर से 50 प्रतिशत से भी अधिक है, जबकि कई अन्य राज्यों में स्टॉक अब भी गंभीर स्तर के करीब है। इन तथ्यों के मद्देनजर यह फैसला किया गया है कि अब से राज्य/आईपीपी और कोयला मंत्रालय घरेलू कोयले की आपूर्ति की उपलब्धता का आकलन करने के उपरांत मिश्रण प्रतिशत तय कर सकते हैं।
देश में बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों में औसत कोयला स्टॉक उनकी वास्तविक स्टॉक मांग का 55 प्रतिशत या 10 दिन का कोयला होता है। यह पिछले महीनों से कुछ बढ़ चुका है, जब यह छह से नौ दिनों के बीच हो गया था।

 

First Published - August 3, 2022 | 12:20 PM IST

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