प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
GST Reforms: देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल दीवाली से पहले GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) में बड़े बदलावों का ऐलान किया। उन्होंने इसे देशवासियों के लिए दीवाली का तोहफा करार दिया। PM ने कहा कि इन सुधारों से आम लोगों की जिंदगी आसान होगी, रोजमर्रा की चीजों के दाम कम होंगे और छोटे-मध्यम कारोबारियों (MSME) को बड़ा फायदा मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर GST में अगली पीढ़ी के सुधारों पर चर्चा की है। इन सुधारों का लक्ष्य टैक्स सिस्टम को और सरल, पारदर्शी और स्थिर बनाना है। सरकार का कहना है कि नए GST ढांचे में ज्यादातर रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स की दर को 5% तक लाया जाएगा, जबकि ज्यादातर प्रोडक्ट्स 18% के टैक्स स्लैब में आएंगे। इसके अलावा, लग्जरी सामान और तंबाकू जैसे नुकसानदायक प्रोडक्ट्स पर 40% की खास टैक्स दर लागू होगी।
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न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार GST के मौजूदा 12% और 28% टैक्स स्लैब को पूरी तरह खत्म करने की योजना बना रही है। 28% स्लैब में आने वाले करीब 90% प्रोडक्ट्स को 18% के स्लैब में शिफ्ट किया जाएगा। वहीं, 12% स्लैब में शामिल 99% प्रोडक्ट्स को 5% टैक्स स्लैब में लाया जाएगा। इससे आम आदमी की जरूरत की चीजें सस्ती हो जाएंगी, जिससे उनकी जेब पर बोझ कम होगा। हालांकि, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को इस नए GST ढांचे में भी शामिल नहीं किया जाएगा और ये पहले की तरह GST के दायरे से बाहर रहेंगे।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि GST सुधारों के तीन बड़े आधार होंगे। पहला, स्ट्रक्चरल सुधार, जिसमें टैक्स ढांचे को और बेहतर किया जाएगा। दूसरा, टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाना, ताकि आम लोगों और महत्वाकांक्षी जरूरतों की चीजें सस्ती हो सकें। तीसरा, लोगों की जिंदगी को आसान बनाना, जिसमें रजिस्ट्रेशन, रिटर्न और रिफंड की प्रक्रिया को तकनीक के जरिए तेज और सरल किया जाएगा।
इन सुधारों में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करने पर भी जोर है। इससे इनपुट और आउटपुट टैक्स रेट्स में संतुलन आएगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट का जमा होना कम होगा। साथ ही, प्रोडक्ट्स की कैटेगरी को लेकर होने वाले विवादों को सुलझाने की कोशिश होगी, ताकि टैक्स सिस्टम में एकरूपता आए और कारोबारियों को परेशानी कम हो।
सरकार का कहना है कि इन बदलावों से कारोबारियों को लंबे समय तक टैक्स दरों और नीतियों की स्पष्टता मिलेगी, जिससे वे बेहतर बिजनेस प्लानिंग कर सकेंगे। साथ ही, छोटे कारोबारियों और स्टार्टअप्स के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को तकनीक आधारित और समयबद्ध बनाया जाएगा। रिटर्न फाइलिंग में भी प्री-फिल्ड रिटर्न का इस्तेमाल होगा, जिससे गलतियां कम होंगी और मैनुअल काम घटेगा। निर्यातकों और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर वाले कारोबारियों के लिए रिफंड की प्रक्रिया को भी तेज और ऑटोमेटेड किया जाएगा।