अर्थव्यवस्था

GST मुनाफाखोरी: सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस

याची के वकील अभिषेक रस्तोगी ने तर्क दिया कि मुनाफाखोरी रोधी प्रावधान से जुड़ी समय सीमा अंतहीन नहीं हो सकती और इससे कारोबारियों को बहुत ज्यादा कठिनाई आएगी।

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इंदिवजल धस्माना   
Last Updated- February 12, 2024 | 11:12 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत मुनाफाखोरी रोधी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता से जुड़े एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के 3 सदस्यों वाला पीठ संवैधानिक वैधता बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई कर रहा है।

डिटर्जेंट विनिर्माता एक्सेल रसायन प्राइवेट लिमिटेड ने याचिका दायर कर कहा कि उच्च न्यायालय यह समझने में विफल रहा कि विवादित प्रावधान संविधान के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। यह उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में पहली याचिका है और अन्य कंपनियां भी यह रुख अपना सकती हैं।

याची के वकील अभिषेक रस्तोगी ने तर्क दिया कि मुनाफाखोरी रोधी प्रावधान से जुड़ी समय सीमा अंतहीन नहीं हो सकती और इससे कारोबारियों को बहुत ज्यादा कठिनाई आएगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में मुनाफारोधी प्रावधानों को जनहित में बताया था और यह भी कहा था कि ये संविधान के तहत दिए गए विधायी शक्तियों के अनुरूप ही हैं।

राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) का गठन इन प्रावधानों के तहत नवंबर 2017 में किया गया था, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) और जीएसटी की घटी दरों का लाभ ग्राहकों तक सामान की कीमत घटाकर पहुंचाएं। कई देशों में ऐसा देखा गया है कि जीएसटी लागू होने पर महंगाई बढ़ती है और जिंसों के दाम ऊपर जाते हैं।

जीएसटी लागू होने के बाद 2 साल के लिए स्थिति पर नजर रखने के लिए एनएए का गठन किया गया था। लेकिन उसके बाद इसका कार्यकाल दो बार बढ़ा दिया गया। दिसंबर 2022 से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग कंपनियों के खिलाफ मुनाफाखोरी संबंधी शिकायतों को देख रहा है।

First Published : February 12, 2024 | 11:12 PM IST