भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए केंद्र सरकार जरूरी चीज़ों के दामों पर कड़ी निगरानी रख रही है। सरकार ने साफ कहा है कि जमाखोरी या काला बाज़ारी जैसी गतिविधियों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो Essential Commodities Act, 1955 यानी आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति और दामों को सामान्य बनाए रखने के लिए स्टॉकिस्ट, आयातकों, थोक विक्रेताओं और खुदरा दुकानदारों के साथ नियमित बैठकें की जा सकती हैं। साथ ही जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को भी यह संदेश लोगों तक पहुंचाने को कहा गया है कि वे न तो घबराएं और न ही अनावश्यक चीज़ें स्टोर करें।
यह अधिनियम सरकार को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी वस्तु को “आवश्यक” घोषित करके उसके उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित कर सके ताकि आम जनता को उचित दाम पर वह वस्तु मिलती रहे। अधिकारी ने बताया कि सरकार के पास भरपूर भंडार है और किसी भी ज़रूरी चीज़ की कोई कमी नहीं है।
देश के खाद्य भंडारों में इस समय लगभग 66.17 मिलियन टन अनाज (गेहूं और चावल) मौजूद हैं, जो पिछले साल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के ज़रिए बांटे गए कुल अनाज (52 मिलियन टन) से भी ज्यादा है। यानी देश के पास एक साल से भी ज़्यादा का अनाज स्टॉक में है। सरकार ने यह भी बताया कि मौसम विभाग ने अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे उत्पादन और आपूर्ति दोनों ही सामान्य रहेंगे।
सरकार के अनुसार, अप्रैल महीने में खाने-पीने की चीज़ों के दाम स्थिर रहे हैं। गेहूं और गेहूं के आटे के दामों में कमी दर्ज की गई है, जिसका कारण बेहतर फसल है। सिर्फ टमाटर और बैंगन जैसे कुछ सब्जियों के दामों में थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई है, बाकी सब कुछ सामान्य है। मार्च 2025 में खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 3.34% पर आ गई है, जो अगस्त 2019 के बाद सबसे कम है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे डर के माहौल में चीज़ों को ज़रूरत से ज़्यादा न खरीदें। देश में पर्याप्त अनाज और जरूरी वस्तुएं मौजूद हैं और स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।