अर्थव्यवस्था

छोटे निर्यातकों के लिए आएगी नई योजनाएं, पूरी तैयार में सरकार; जानिए डिटेल्स

बजट में घो​षित 2,250 करोड़ रुपये के निर्यात प्रोत्साहन मिशन के तहत शुरू की जाने वाली इन योजनाओं पर एक अंतर मंत्रालय समिति काम कर रही है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- February 04, 2025 | 10:44 PM IST

सरकार विशेष रूप से छोटे निर्यातकों की मदद के लिए नई योजनाएं तैयार कर रही है ताकि उन्हें बिना किसी रेहन के ऋण उपलब्ध हो सके। इससे उन्हें विकसित देशों में लागू गैर-शुल्क उपायों की अनुपालन जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इसमें अन्य बातों के अलावा, सीमापार फैक्टरिंग समर्थन के जरिये वित्त के वैक​ल्पिक साधनों को बढ़ावा देने और जोखिमपूर्ण बाजारों के लिए सहायता प्रदान करने पर विचार किया जाएगा।

बजट में घो​षित 2,250 करोड़ रुपये के निर्यात प्रोत्साहन मिशन के तहत शुरू की जाने वाली इन योजनाओं पर एक अंतर मंत्रालय समिति काम कर रही है। इसमें वाणिज्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के अ​धिकारी शामिल हैं। वित्त मंत्रालय ने एक प्रमुख निर्यात प्रोत्साहन योजना- ब्याज समतुल्यीकरण योजना (आईईएस)- को 31 दिसंबर से आगे जारी रखने की मंजूरी नहीं दी है। इसलिए इस मिशन के तहत नई राशि आबंटिक की गई है ताकि निर्यात ऋण की ​स्थिति पर नए सिरे से विचार करते हुए एमएसएमई निर्यातकों को मदद की जा सके। इसका व्यापक उद्देश्य निर्यातकों के लिए मदद के प्रारूप में बदलाव करना है। जरूरी नहीं है कि निर्यातकों की आईईएस जैसे ब्याज अनुदान के जरिये ही मदद की जाए।

विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने आज संवाददाताओं से कहा, ‘आईईएस का जिस तरीके से संचालन किया गया उससे यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि बड़ी तादाद में एमएसएमई की चिंताएं दूर हुईं या नहीं। इसलिए निर्यात ऋण सहायता पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो यूरोपीय संघ अथवा अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में गैर-शुल्क उपायों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक है।’

अगर मंजूरी मिल जाती है तो इनमें से कुछ योजनाएं करीब चार महीने में लागू हो जाएंगी। निर्यात प्रोत्साहन मिशन में मार्केट ऐक्सेस इनिशिएटिव (माई) योजना के लिए आवंटित 200 करोड़ रुपये भी शामिल होंगे।

सारंगी के अनुसार, एमएसएमई के लिए निर्यात ऋण एक बड़ी चुनौती रही है। बार-बार किए गए सर्वेक्षणों से पता चलता कि 5 में से 4 एमएसएमई को ऋण लेते समय रेहन संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है। इसलिए सरकार एक ऐसी योजना तैयार कर रही है जिसमें  एमएसएमई निर्यातकों के लिए ऋण को पूरी तरह अथवा आंशिक तौर पर रेहन से मुक्त रखा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम व्यक्तिगत निर्यातकों पर सीमा लगाने के बारे में विचार कर रहे हैं ताकि बड़ी तादाद में एमएसएमई को मदद मिल सके। हमारा लक्ष्य 1 लाख निर्यातकों की मदद करना होगा।’

सरकार अ​धिक जो​खिम वाले बाजारों  के लिए एक व्यापार सहायता कार्यक्रम (टीएपी) योजना शुरू करने के लिए काम कर रही है। जोखिम के आकलन के बारे में सीमित जानकारी होने के कारण बैंक अक्सर विदेशी बैंकों से जुड़े व्यापार संबंधी वित्तीय लेनदेन में शामिल नहीं होना चाहते हैं। हालांकि ए​ग्जिम (आयात निर्यात) बैंक पहले से ही सीमित तरीके से टीएपी योजना पर काम रहा है। मगर केंद्र के सहयोग से इसे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है ताकि अधिक से अ​धिक निर्यातकों को इसके दायरे में लाया जा सके। इसे सरकार के साथ ​मिलकर एक जोखिम साझेदारी कोष की स्थापना के जरिये किया जाएगा।

First Published : February 4, 2025 | 10:44 PM IST