अर्थव्यवस्था

Nuclear Energy में 26 अरब डॉलर के निवेश की तैयारी, प्राइवेट सेक्टर को आमंत्रित करेगी सरकार!

सरकार करीब 440 अरब रुपये निवेश के लिए कम से कम पांच निजी कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है, जिनमें ​रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा पावर, अदाणी पावर और वेदांत मुख्य रूप से शामिल हैं।

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एजेंसियां   
Last Updated- February 20, 2024 | 10:50 PM IST

भारत अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में करीब 26 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित करेगा। दो सरकारी अ​धिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि इस निवेश का मकसद उन स्रोतों से विद्युत उत्पादन बढ़ाना है जो कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करते हैं।

यह पहली बार है जब भारत सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश पर विचार कर रही है। परमाणु ऊर्जा ऐसा गैर-कार्बन उत्सर्जन वाला ऊर्जा स्रोत है जिसका भारत के कुल विद्युत उत्पादन में 2 प्रतिशत से भी कम योगदान है। इस निवेश से भारत को वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन इस्तेमाल के जरिये अपनी कुल बिजली उत्पादन क्षमता मौजूदा 42 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत पर पहुंचाने में मदद मिलेगी।

इस मामले की जानकारी रखने वाले दो अ​धिकारियों ने पिछले सप्ताह बताया कि सरकार करीब 440 अरब रुपये निवेश के लिए कम से कम पांच निजी कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है, जिनमें ​रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा पावर, अदाणी पावर और वेदांत मुख्य रूप से शामिल हैं।

सूत्रों का कहना है कि परमाणु ऊर्जा विभाग और सरकार संचालित न्यू​​क्लियर पावर कॉर्प ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने निवेश योजना के बारे में पिछले साल निजी कंपनियों के साथ कई दौर की बातचीत की। परमाणु ऊर्जा विभाग, एनपीसीआईएल, टाटा पावर, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदाणी पावर और वेदांत ने रॉयटर्स द्वारा इस संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है।

सूत्रों ने नाम नहीं बताए जाने के अनुरोध के साथ कहा कि इस निवेश के साथ सरकार को वर्ष 2040 तक 11,000 मेगावॉट की नई परमाणु विद्युत उत्पादन क्षमता तैयार होने का अनुमान है। एनपीसीआईएल 7,500 मेगावॉट क्षमता के साथ भारत के मौजूदा परमाणु विद्युत संयंत्रों का स्वामित्व और परिचालन देखती है और उसने अन्य 1,300 मेगावॉट के लिए निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।

सूत्रों ने कहा कि वित्त पोषण योजना के तहत निजी कंपनियां परमाणु संयंत्रों, भूमि खरीद, जल और संयंत्रों के रियक्टर कॉम्पलेक्स के बाहरी इलाके में निर्माण कार्य पर निवेश करेंगी। लेकिन स्टेशनों के निर्माण एवं संचालन और उनके ईंधन प्रबंधन का अ​धिकार एनपीसीआईएल को होगा, जैसा कि कानूनी के तहत अनुमति दी गई है।

निजी कंपनियों को विद्युत संयंत्र की बिजली बिक्री से राजस्व हासिल होने की संभावना है और एनपीसीआईएल बतौर शुल्क परियोजनाओं का परिचालन करेगी। विद्युत क्षेत्र में स्वतंत्र विश्लेषक चारूदत्त पालेकर (जिन्होंने पहले पीडब्ल्यूसी के लिए काम किया) ने कहा, ‘परमाणु विद्युत परियोजना निर्माण का यह ​हाइब्रिड मॉडल परमाणु क्षमता बढ़ाने के लिए एक नवीनतम समाधान है।’

एक अ​धिकारी ने कहा कि इस योजना के लिए भारत के 1962 के एटॉमिक एनर्जी ऐक्ट में संशोधन की जरूरत नहीं होगी, लेकिन परमाणु ऊर्जा विभाग से अंतिम मंजूरी लेनी होगी। भारतीय कानून निजी कंपनियों को परमाणु विद्युत संयंत्रों की स्थापना करने से रोकते हैं लेकिन उन्हें कलपुर्जा, उपकरण आपूर्ति करने और रियक्टरों के बाहर कार्य के लिए निर्माण अनुबंध की अनुमति देते हैं।

First Published : February 20, 2024 | 10:50 PM IST