अर्थव्यवस्था

FTA: भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते में जटिल मसलों के कारण हो रही देरी

वाणिज्य सचिव ने कहा, 'हम किसी तय मियाद पर काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि आंतरिक समय सीमा तय की गई है और उस पर चरणबद्ध तरीके से चर्चाएं जारी हैं।'

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शिवा राजौरा   
Last Updated- November 15, 2023 | 10:16 PM IST

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत समय के साथ चल रही है मगर इसकी कोई मियाद नहीं तय की गई है। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि इसमें कई ऐसे मुद्दे हैं जो थोड़े जटिल हैं और दोनों देशों के आर्थिक महत्त्व के हैं।

दोनों देशों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के लिए किसी अस्थायी समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर सचिव ने कहा कि सभी मुद्दों की चरणबद्ध तरीके से सावधानी से जांच की जा रही है और उम्मीद है कि वे जल्द समाप्त हो जाएंगे। वाणिज्य सचिव ने कहा, ‘हम किसी तय मियाद पर काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि आंतरिक समय सीमा तय की गई है और उस पर चरणबद्ध तरीके से चर्चाएं जारी हैं।’

अब तक इस मुद्दे पर 13 दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है और भारत एवं ब्रिटेन के मुख्य वार्ताकारों के बीच वाहन, चिकित्सा उपकरणों और पेशेवरों की आवाजाही जैसे मुद्दों पर मतभेद दूर करने के लिए जल्द ही अगले दौर की बातचीत होने की उम्मीद है। बातचीत के लिए ब्रिटेन के अधिकारी जल्द ही नई दिल्ली आ सकते हैं। पिछले साल जनवरी में शुरू किया गया यह समझौता दीवाली (24 अक्टूबर, 2022) तक ही खत्म होने वाला था मगर कई प्रतिकूल स्थितियों के कारण यह पूरा नहीं हो सका।

इसके अलावा भारत के व्यापार स्तंभ में शामिल होने के लिए पूछे जाने पर वाणिज्य सचिव बड़थ्वाल ने कहा कि 14 सदस्यीय इंडो-पैसेफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) द्वारा व्यापार स्तंभ को मूर्त रूप देने में अभी कुछ और वक्त लग सकता है। इससे भारत को कुछ समय मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘आईपीईएफ देशों को (जहां हमें पर्यवेक्षक का दर्जा है) व्यापार स्तंभ को पूरा करने में कुछ और समय लग सकता है। जिन स्तंभों में हम पहले जुड़ चुके हैं पहले उन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसलिए इन बातचीत को देखने और प्रतिक्रिया देने के लिए हमारे पास अधिक गुंजाइश दिखती है।’

चार स्तंभों में से भारत आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (कर और भ्रष्टाचार विरोधी जैसे मुद्दे) जैसे तीन स्तंभों में शामिल हो गया है और व्यापार स्तंभ के तहत एक पर्यवेक्षक बन गया है।

सचिव ने आईपीईएफ के तहत श्रम घटक पर भी सफाई दी और कहा कि आपूर्ति श्रृंखला के तहत नियमों का सामंजस्य होने की उम्मीद है। बड़थ्वाल ने कहा, ‘हम इस पर सहमत हुए हैं कि नियमन केवल घरेलू श्रम कानून पर लागू होंगे। यह घरेलू श्रम कानून से अलग नहीं है और यह एक सहकारी तंत्र है।’

First Published : November 15, 2023 | 10:16 PM IST