सरकार ने विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले संगठनों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम यानी FCRA के तहत लाइसेंस प्राप्त संगठनों के रिन्यूअल और नए रजिस्ट्रेशन में अब पहले से ज्यादा सख्ती देखी जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में संगठनों के FCRA लाइसेंस रद्द किए गए हैं। इस वजह से कई सिविल सोसाइटी समूहों, एनजीओ और नीतिगत संस्थानों के सामने लाइसेंस मिलने या उसके रिन्यूअल में दिक्कतें आ रही हैं।
मंजूरी दर में उतार-चढ़ाव
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-20 में केवल 41.2% आवेदनों को ही FCRA रिन्यूअल की मंजूरी मिली थी, जबकि 53.3% को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद 2020-21 में मंजूरी दर बढ़कर 76.3% हो गई और खारिज होने वाले आवेदनों की संख्या घटकर 22.4% रही। 2021-22 के आंकड़े अधूरे हैं, क्योंकि उस साल खारिज किए गए आवेदनों का विवरण नहीं दिया गया। 2022-23 में सरकार ने रिकॉर्ड 97.9% आवेदनों को मंजूरी दी, और सिर्फ 2.1% को खारिज किया।
लेकिन 2023-24 में एक बार फिर सख्ती देखने को मिली। इस साल 75.8% आवेदनों को मंजूरी मिली, जबकि 24.2% आवेदनों को खारिज कर दिया गया। यह अब तक के सबसे ज्यादा खारिज किए गए आवेदनों में शामिल है।
रिकॉर्ड संख्या में आवेदन निपटाए
2023-24 में सरकार ने कुल 8,306 FCRA रिन्यूअल आवेदनों पर फैसला लिया। इनमें से 6,293 आवेदनों को मंजूरी दी गई, जबकि 2,013 को खारिज कर दिया गया। इतनी बड़ी संख्या में आवेदनों को निपटाना अपने आप में रिकॉर्ड है। इससे साफ है कि सरकार जहां एक ओर प्रक्रियाओं को तेजी से निपटा रही है, वहीं नियमों का सख्ती से पालन भी करवा रही है।
बड़े संस्थानों के लाइसेंस रद्द
इस सख्ती के चलते कई नामी संस्थाओं के FCRA लाइसेंस रद्द हो चुके हैं। इनमें कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, ऑक्सफैम इंडिया, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज शामिल हैं। ये संस्थाएं मानवाधिकार, सामाजिक न्याय और नीति विश्लेषण के क्षेत्र में सक्रिय थीं। इनके लाइसेंस रद्द होने से सिविल सोसाइटी और नीति क्षेत्र में चिंता की लहर है।
अन्य आवेदनों में भी सख्त निगरानी
2023-24 में न सिर्फ रिन्यूअल, बल्कि नए रजिस्ट्रेशन और अन्य आवेदनों पर भी सरकार की कड़ी नजर रही। नए रजिस्ट्रेशन के 1,209 आवेदनों को मंजूरी दी गई, जबकि 945 खारिज किए गए। “पूर्व अनुमति” यानी ‘प्रायर परमिशन’ के मामलों में सिर्फ 39 को मंजूरी मिली और 257 को खारिज कर दिया गया।
हॉस्पिटैलिटी से जुड़े मामलों में सरकार ने थोड़ी नरमी बरती और 3,912 आवेदनों को मंजूरी दी, जबकि 471 को खारिज किया। वहीं, संगठनों के कमेटी मेंबर्स बदलने के मामलों में खास सख्ती देखने को मिली। 4,185 आवेदनों को मंजूरी दी गई, लेकिन लगभग बराबरी पर 4,162 आवेदनों को खारिज भी किया गया। इससे यह साफ है कि सरकार संगठन के आंतरिक प्रबंधन और गवर्नेंस पर खास ध्यान दे रही है।
कितने लाइसेंस एक्टिव और रद्द
गृह मंत्रालय के मुताबिक, 23 मार्च 2024 तक 16,123 संगठनों के पास एक्टिव FCRA लाइसेंस हैं। वहीं, 20,717 संगठनों के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं और 14,965 संगठनों के लाइसेंस की वैधता खत्म हो चुकी है। सरकार की इस सख्ती ने न केवल विदेशी फंडिंग पाने वाले संगठनों के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं, बल्कि पूरे सिविल सोसाइटी सेक्टर में भी चिंता का माहौल बना दिया है।