HSBC होल्डिंग्स पीएलसी के अनुसार, भारत में अनाज की कमी है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं और देश में महंगाई बढ़ सकती है। हालांकि, आने वाले महीनों में सब्जियों की कीमतों की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।
अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में बताया है कि जहां लोग खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से चिंतित हैं, वहीं मुख्य समस्या सिर्फ टमाटर से नहीं बल्कि अन्य चीजों से भी है। वे विशेष रूप से चावल और गेहूं जैसे अनाजों को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इनकी कमी के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं।
HSBC ने अनुमान लगाया है कि मार्च 2024 तक मुद्रास्फीति 5% पर रहेगी। हालांकि, अगर अनाज की कीमतों में तेज वृद्धि होती है, तो महंगाई बढ़ सकती है। स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए अर्थशास्त्री आने वाले हफ्तों में बारिश और चावल रोपण के आंकड़ों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
अर्थशास्त्री चिंतित हैं क्योंकि उत्तर पश्चिम भारत में चावल की फसल अच्छी तरह से नहीं लगाई गई है, और देश के दक्षिण और पूर्व में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। इससे भारत के चावल निर्यात में समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है। इसके अलावा, अगर चावल का उत्पादन प्रभावित होता है, तो इससे गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका उपयोग कुछ मामलों में चावल के विकल्प के रूप में किया जाता है। इसका ग्लोबल लेवल पर फूड की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है।
भारत में अनाज की कीमतें कुछ कारणों से और भी बढ़ सकती हैं। रूस ने चेतावनी जारी की कि ब्लैक सी (Black Sea) में यूक्रेन के बंदरगाहों पर जाने वाले जहाज हथियार ले जा रहे हैं और इसके कारण पिछले सप्ताह गेहूं की कीमतें बढ़ गईं। इसके अतिरिक्त, अल नीनो अनाज की कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है और उन्हें बढ़ा सकता है।
अनाज भारत में लोगों के जीवनयापन के खर्च को महत्वपूर्ण तरीके से तय करता है। गेहूं भारतीय आहार का एक बुनियादी और आवश्यक हिस्सा है। गेहूं सहित खाद्य पदार्थों की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी के कारण जून में खुदरा महंगाई तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81% पर पहुंच गई है। इससे अर्थशास्त्रियों को यह अनुमान लगाना पड़ा है कि बाकी साल के दौरान कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी। परिणामस्वरूप, केंद्रीय बैंक हालातों को कंट्रोल में करने के लिए लंबे समय के लिए ब्याज दरों में बदलाव न रखने का फैसला ले सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करना जरूरी है क्योंकि उन्हें अगले साल राष्ट्रीय चुनाव लड़ने हैं। महंगाई से निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में देश से सस्ते गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात बंद कर दिया है।
भारत के कुछ हिस्सों में मानसून की बारिश पर्याप्त तेज़ नहीं थी, और अन्य क्षेत्रों में बाढ़ आ गई। इससे सब्जियों और दालों की कीमतें काफी बढ़ गईं। साल की शुरुआत से टमाटर की कीमत में 400% से ज्यादा की वृद्धि हुई, और प्याज और आलू की कीमतें भी अस्थिर हो गईं। इन कारकों ने महंगाई के बढ़ने में योगदान दिया है।
अर्थशास्त्रियों ने बताया कि टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी ज्यादा दिन के लिए नहीं है और दो महीने में इसमें कमी आ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि दालों, चीनी और तिलहनों की कीमतों में बढ़ोतरी को कंट्रोल और मैनेज किया जा सकता है।