वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में राजकोषीय घाटा कम हुआ। महालेखा नियंत्रक के जारी नवीनतम आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार पहली तिमाही (अप्रैल-जून) का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष के कुल लक्ष्य का 8.41 प्रतिशत रहा। इसका प्रमुख कारण चुनाव के महीनों में पूंजीगत व्यय तेजी से गिरने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का रिकार्ड लाभांश था।
बहरहाल महालेखा नियंत्रक (सीएजी) के आंकड़ों में अंतरिम बजट के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में राजकोषीय घाटा 8.1 प्रतिशत था। हालांकि बीते वर्ष वित्त वर्ष 24 की इस अवधि में यह आंकड़ा 25.3 प्रतिशत था।
आंकड़ों के अनुसार इस वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में कुल गैर कर राजस्व बजट अनुमानों का 70.1 प्रतिशत 2.8 लाख करोड़ रुपये था जबकि बीते साल की इस अवधि में बजट अनुमान का 51.4 प्रतिशत था। लाभांश और लाभ के कारण गैर कर राजस्व 150 प्रतिशत बढ़कर 2.24 लाख करोड़ रुपये हो गया।
इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री आदिति नायर के अनुसार आरबीआई के जबरदस्त लाभांश के कारण गैर कर राजस्व में 81 प्रतिशत का जबरदस्त इजाफा हुआ, राजस्व व्यय में मामूली 2 प्रतिशत का इजाफा हुआ और पूंजीगत व्यय में 35 प्रतिशत की कमी हुई।
उन्होंने बताया, ‘केंद्र का पूंजीगत व्यय जून 2024 में गिरकर 374 अरब रुपये हो गया जबकि यह जून 2023 की अवधि में 1.1 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 25 के बजट अनुमानों को हासिल करने के लिए अंतिम तीन तिमाहियों में 9.3 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने की जरूरत है। यह वित्त वर्ष 24 की इस अवधि से 39 प्रतिशत ज्यादा होगा। लिहाजा स्थितियां चुनौतपूर्ण नजर आती हैं।’