अर्थव्यवस्था

प्रमुख सब्सिडी में सरकार की बचत पर नजर, वित्त वर्ष 24 में संशोधित बजट अनुमान का 87 प्रतिशत ही किया खर्च

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि फरवरी 2024 तक सरकार का बाह्य वित्तपोषण, संशोधित अनुमान के 148 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो पिछले साल फरवरी तक 118 प्रतिशत था।

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- March 29, 2024 | 9:18 PM IST

सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के लिए प्रमुख मदों पर सब्सिडी के कुल संशोधित बजट अनुमान का 87 प्रतिशत या 3.6 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। महालेखा महानियंत्रक (सीजीए) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यह राशि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में हुए बजट अनुमान के 88 प्रतिशत खर्च के करीब बराबर है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि फरवरी 2024 तक सरकार का बाह्य वित्तपोषण, संशोधित अनुमान के 148 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो पिछले साल फरवरी तक 118 प्रतिशत था। कुल प्रमुख सब्सिडी में खाद्य सब्सिडी पर कुल खर्च, संशोधित अनुमान का 84 प्रतिशत है, जो पिछले साल फरवरी तक 78 प्रतिशत था। विशेषज्ञों का कहना है कि कम खरीद, कम खाद्य सब्सिडी की एक वजह हो सकती है।

पोषक पर आधारित उर्वरक सब्सिडी पर सरकार का खर्च भी पिछले साल की तुलना में कम रहा है। यह फरवरी 2024 तक संशोधित अनुमान का 100 प्रतिशत खर्च हो चुका है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 102 प्रतिशत खर्च हुआ था।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि खाद्य और उर्वरक सब्सिडी दोनों पर होने वाले खर्च में बचत होगी। तेल की कीमत कम रहने के कारण उर्वरक के दाम नियंत्रण में रहे हैं।’

बहरहाल सरकार ने पेट्रोलियम सब्सिडी पर अपना व्यय बढ़ा दिया है और फरवरी 2024 तक संशोधित अनुमान का 66 प्रतिशत इस्तेमाल हो चुका है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में आवंटित राशि का सिर्फ 18 प्रतिशत इस्तेमाल हुआ था।

फरवरी 2024 तक यूरिया सब्सिडी पर व्यय संशोधित अनुमान का 89 प्रतिशत रहा है, यह भी पिछले साल की समान अवधि के 104 प्रतिशत की तुलना में कम है।

घाटे की घरेलू स्रोतों से भरपाई के माले में सरकार ने वित्त वर्ष 2024 में अनुमानित बाजार उधारी का 108 प्रतिशत इस्तेमाल कर लिया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 98 प्रतिशत इस्तेमाल हुआ था। कुल मिलाकर फरवरी 2024 तक घरेलू संसाधनों से 14.64 लाख करोड़ रुपये या वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान का 86 प्रतिशत जुटाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2023 में फरवरी 2024 तक घरेलू वित्तपोषण 82 प्रतिशत था।

सबनवीस ने कहा, ‘अग्रिम कर भुगतान के कारण कर संग्रह बेहतर रहा है, हालांकि विनिवेश घटा है। दरअसल बजट अनुमान की तुलना में सकल उधारी कम रही है।’

सरकार ने राजस्व की कमी की भरपाई करने के लिए अप्रैल सितंबर 2024-25 के दौरान बाजार उधारी के माध्यम से 7.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है।

2024-25 के लिए अनुमानित 14.13 लाख करोड़ रुपये सकल बाजार उधारी में से 7.5 लाख करोड़ रुपये या 53 प्रतिशत पहली छमाही में जुटाने की योजना है।

First Published : March 29, 2024 | 9:18 PM IST