5 महीने में चीन को निर्यात घटा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 3:58 PM IST

 चीन में आर्थिक गतिविधियों में मंदी के कारण भारत का अपने उत्तरी पड़ोसी देश को निर्यात अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान 35 प्रतिशत घटकर 6.8 अरब डॉलर रह गया है, जबकि इस दौरान भारत का कुल निर्यात 17.1 प्रतिशत बढ़ा है। इस अवधि के दौरान चीन भारत का चौथा बड़ा निर्यात केंद्र रह गया है, जबकि एक साल पहले दूसरा बड़ा केंद्र था।
कई तरह के झटकों से चीन की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। इसमें जीरो कोविड पॉलिसी से खपत में गिरावट, संपत्ति बाजार की लंबी चली मंदी, निर्यात मांग में गिरावट प्रमुख हैं, जिनकी वजह से आर्थिक गतिविधियां सुस्त हुई हैं।
वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध अलग-अलग आंकड़ों से पता चलता है कि कच्चे तेल के दाम में तेजी के कारण अप्रैल-जुलाई के दौरान नेफ्था जैसे पेट्रोलियम उत्पादों का चीन को निर्यात जहां 81 प्रतिशत बढ़कर 1.2 अरब डॉलर हो गया है, वहीं कार्बनिक रसायनों (-38.3 प्रतिशत), लौह अयस्क (-78.5 प्रतिशत) और एल्युमीनियन उत्पादों (-84.2 प्रतिशत) के निर्यात में तेज गिरावट आई है। बहरहाल चीन ने गैर बासमती चावल और समुद्री उत्पादों का आयात क्रमशः 141.1 प्रतिशत औऱ 18.7 प्रतिशत बढ़ाया है। चीन में स्टील के उत्पादन में कटौती से भारत से लौह अयस्क का निर्यात कम हुआ है।
वहीं चीन से अप्रैल-अगस्त के दौरान आयात 28 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि भारत का कुल मिलाकर आयात 45.6 प्रतिशत बढ़ा है। इसकी वजह से व्यापार घाटा वित्त वर्ष 23 के शुरुआती 5 महीनों में बढ़कर 37.1 अरब डॉलर हो गया है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ा है और यह किसी भी देश की तुलना में सर्वाधिक है। यह चिंता का विषय है। चीन में स्थित भारतीय दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर कहा है, ‘चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ने की दो वजह है। जिंसों का बास्केट छोटा है, कृषि उत्पादों और दवा व आईटी/आईटीईएस के निर्यात में हम प्रतिस्पर्धी हैं, लेकिन इसकी राह में व्यवधान बहुत ज्यादा है। हमारा निर्यात मुख्य रूप से लौह अयस्क, कपास, तांबे, एल्युमीनियम और हीरों व प्राकृतिक रत्नों का है। समय बीतने के साथ कच्चे माल पर आधारित जिंस पीछे छूट रहे हैं। बाजार तक पहुंच के मसले पर हमें चीन के साथ बात जारी रखने की जरूरत है।’
चीन की अर्थव्यवस्था को चेंगदू में लॉकडाउन से ज्यादा झटका लगा है, जो वहां का छठा बड़ा शहर है। इससे इस इलाके में कारोबारी और ग्राहकों की गतिविधियां प्रभावित हुईं और पूरे देश में कारोबारी धारणा पर असर पड़ा। चीन की कड़ी लॉकडाउन नीति के कारण वैश्विक उत्पादन और शिपिंग पर असर पड़ा और इससे वैश्विक आपूर्ति शृंखला की रिकवरी को भी झटका लगा है। मूडीज ने पिछले सप्ताह चीन की वृद्धि का अनुमान 2022 और 2023 दोनों के लिए घटाकर क्रमशः 3.5 प्रतिशत और 4.8 प्रतिशत कर दिया है। यह 2021 के 8.1 प्रतिशत की तुलना में तेज गिरावट है।
जुलाई के कारोबारी आंकड़ों से पता चलता है कि चीन का व्यापार अधिशेष रिकॉर्ड 101.26 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो जून में 97.4 अरब डॉलर ता। इसे मजबूत निर्यात और सुस्त आयात वृद्धि से बल मिला है। मूडीज ने कहा है, ‘2023 के बाद चीन की रिकवरी अन्य क्षेत्रों की रिकवरी पर निर्भर होगी, जो संपत्ति बाजार के संकट के वजह से पैदा हुई है। घरेलू खपत मांग में तेज बहाली, सरकार द्वारा किए जा रहे बुनियादी ढांचे पर व्यय ठोस रिकवरी में अहम भूमिका निभाएंगे।’

First Published : September 4, 2022 | 10:23 PM IST