कैरी पोजीशन निर्मित होने से विनिमय दर, मुद्रास्फीति को लगेगा झटका

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:57 AM IST

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की आर्थिक अनुसंधान शाखा ने चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर कैरी पोजीशन के निर्मित होने से विनिमय दर बुरी तरह प्रभावित हो सकती है और उससे मुद्रास्फीति को झटका लग सकता है।
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, ‘यूएसडीआईएनआर कैरी ट्रेड में उल्लेखनीय ओपन पोजीशन होने के साथ ही बड़े खिलाडिय़ों एवं उच्च वायदा अधिशुल्क के साथ एक जीवंत गैर-वितरण योग्य वायदा बाजार में किसी कारणवश कैरी पोजीशन के अधिक निर्मित होने से रुपये पर अवमूल्यन का उल्लेखनीय दबाव पैदा हो सकता है जिससे मुद्रास्फीति बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।’
यह विशेष तौर पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वह एक मुद्रास्फीति लक्ष्य प्रणाली के तहत काम करता है। हालांकि मौजूदा परिस्थिति ने उसे प्रणाली को वित्तीय तौर पर स्थिर रखते हुए वृद्धि पर कहीं अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया है।
घोष का मानना है कि विनिमय दर में हरेक 1 प्रतिशत के बदलाव से मुद्रास्फीति में 0.1 से 0.13 फीसदी का बदलाव दिख सकता है। उन्होंने कहा, ‘विनिमय दर पर करीबी नजर रखने की जरूरत है क्योंकि मौद्रिक नीति के लिए यह एक प्रमुख जानकारी होगी।’
आरबीआई के तिमाही अनुमान मॉडल (क्यूपीएम) में विनिमय दर का घटक काफी उलझा हुआ है। घोष ने कहा, ‘हालांकि वन वेरिएबल फॉर वन टारगेट के सिद्धांत के तहत एमपीसी ब्याज दर को लक्ष्य करते हुए स्पष्ट तौर पर विनिमय दर को लक्षित नहीं कर सकता है।’ इसलिए, रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया है कि आरबीआई विनिमय दर पर आधारित मुद्रास्फीति के लक्ष्य को अपना सकता है।
विशेष तौर पर विकासशील देशों के लिए मूल्य स्थिरता और विनिमय दर में स्थिरता के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए दो मुद्दों- ब्याज दर और स्टरलाइज्ड इंटरवेंशन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
घोष ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों का सामना उपयुक्त बाजार व्यवहार के जरिये किया जा रहा है। हालांकि अमेरिका जैसे उन्नत देशों में शून्य के करीब प्रतिफल और मौद्रिक सहजता के लिए लगातार किए जा रहे उपायों से रुपये में तेजी की संभावनाएं पूंजी प्रवाह के जरिये दिख सकती हैं अन्यथा हमें जिंस कीमतों में तेजी के कारण चालू खाते के घाटे में भारी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।’

First Published : May 10, 2021 | 11:12 PM IST