अर्थव्यवस्था

राजकोषीय घाटा कम करने पर जोर

India's fiscal deficit : बजट में अनुमान लगाया गया है कि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद का 10.5 प्रतिशत रहेगी

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इंदिवजल धस्माना   
Last Updated- February 01, 2024 | 11:30 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों में उम्मीद से बेहतर राजकोषीय एकीकरण का अनुमान प्रस्तुत किया है। साथ ही उन्होंने अगले वर्ष के लिए बजट अनुमान पेश किया है जिसमें जोरदार कर संग्रह का गणित शामिल नहीं है।

हालांकि कई विश्लेषकों का पहले मानना था कि वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान में संभावित राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात के रूप में पूरी तरह हासिल करना मुश्किल हो सकता है, भले ही इसे संख्या के लिहाज से हासिल कर लिया जाए।

उन्होंने अनुमानित रूप से नॉमिनल आर्थिक वृद्धि अनुमान से कम रहने के कारण ऐसी आशंका जताई थी। सरकार के राजस्व की तुलना में उसका अधिक व्यय राजकोषीय घाटा होता है।

बजट में अनुमान लगाया गया है कि नॉमिनल जीडीपी वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद का 10.5 प्रतिशत रहेगी, लेकिन पहले अग्रिम अनुमान में इसे 8.9 प्रतिशत माना गया है।

हालांकि राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 24 के लिए संशोधित अनुमान में न केवल निरपेक्ष रूप से कम 17.35 लाख करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि बजट अनुमान में यह 17.87 लाख करोड़ रुपये था। संशोधित अनुमान में इसका अनुपात जीडीपी के 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था, जबकि बजट अनुमान में यह अनुपात 5.9 प्रतिशत था।

राज्यों को हस्तांतरण करने के बाद कर राजस्व वर्ष 2023-24 के लिए संशोधित अनुमान में 0.28 प्रतिशत तक की कमी के साथ 23.23 लाख करोड़ रुपये रहने के अनुमान के बावजूद ऐसा हुआ। इसका एक कारण राज्यों को पिछले बकाये का 7,000 करोड़ रुपये का हस्तांतरण भी रहा।

हालांकि गैर-कर राजस्व, विशेष रूप से भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से हस्तांतरण ने करों के मोर्चे पर राजस्व हानि की भरपाई की है। चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान में यह राशि 24.5 प्रतिशत तक बढ़कर 3.76 लाख करोड़ रुपये हो गई है। विनिवेश से धीमी राज्व के कारण इससे केंद्र को केवल 1.45 प्रतिशत अधिक 27.55 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिला।

वित्त मंत्री बजट अनुमान में रखे गए पूंजीगत व्यय में पांच प्रतिशत से अधिक की कटौती करके इसे 9.5 लाख करोड़ रुपये तक ला सकती हैं जिससे चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में बेहतर राजकोषीय समेकन हो सकता है।

अगर पूंजीगत परिसंपत्तियों के लिए अनुदान को शामिल कर लिया जाए तो कुल पूंजीगत व्यय सात प्रतिशत से अधिक घटकर 12.71 लाख करोड़ रुपये रह जाता है।

अगले वर्ष के लिए ये उम्मीदें थीं कि सरकार केंद्र के राजकोषीय घाटे को लगभग 5.2 से 5.3 प्रतिशत के स्तर पर रखेगी, लेकिन सीतारमण ने इसके 5.1 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान जताया है। उन्होंने राजकोषीय समेकन की राह के लिए प्रतिबद्धता भी जताई है और वर्ष 2025-26 के दौरान घाटा कम करके 4.5 प्रतिशत से नीचे लाया जाएगा।

वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमान की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजस्व व्यय लगभग 36 लाख करोड़ रुपये के साथ केवल तीन प्रतिशत अधिक आंका गया है।

संशोधित अनुमान की तुलना में वित्त वर्ष 25 के लिए पूंजीगत व्यय तकरीबन 17 प्रतिशत अधिक 11.11 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। पूंजीगत संपत्तियों के लिए अनुदान सहित यह राशि लगभग 18 प्रतिशत बढ़कर लगभग 15 लाख करोड़ रुपये हो जाती है।

First Published : February 1, 2024 | 11:28 PM IST