वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत सरकार ने ई-रसीद व्यवस्था अधिसूचित की है। यह बड़े उद्यमों तक सीमित है, जिनका कारोबार 500 करोड़ रुपये शुरू होता है। बिक्री की रसीद दाखिल करने इलेक्ट्रॉनक व्यवस्था 1 अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है। ऐसे में कारोबारियों के पास अपने सिस्टम में सुधार के लिए दो महीने का वक्त बचा है। यह अधिसूचना छोटे कारोबारियों के लिए राहत बनकर आई है क्योंकि पहले 100 करोड़ रुपये से ऊपर के कारोबार पर ई-रसीद दाखिल करने का प्रस्ताव किया गया था।
इसके अलावा 30 जुलाई को जारी अधिसूचना के मुताबिक विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित इकाइयों को ई-रसीद का अनुपालन करने से छूट मिली हुई है। इस कदम को गिरते जीएसटी संग्रह को देखते हुए सरकार की कर चोरी रोकने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है, जबकि महामारी के कारण अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है।
ई-रसीद की व्यवस्था से उद्यमों व करदाताओं को रिटर्न के पहले से प्रविष्टि में मदद मिलेगी और मिलान संबंधी समस्या में कमी आएगी। उद्यमों की करीब 7,500 जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) है, जिनका कारोबार 500 करोड़ रुपये और उससे ज्यादा है।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि ई-रसीद के लिए सिस्टम में सुधार करना ऐसे दौर में कुछ उद्यमों के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण है जब वर्क फ्रॉम होम चल रहा है और इसके लिए पहले से तैयारी करने की जरूरत थी। ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि इस अधिसूचना से यह साफ है कि बड़े कारोबारियों के लिए 1 अक्टूबर से ई-रसीद की व्यवस्था लागू करने को प्रतिबद्ध है। जैन ने कहा, ‘इस अनुपालन के लिए सिर्फ 60 दिन बचे हैं, ऐसे में उद्योगों को तेजी से ईआरपी में जरूरी बदलाव का मूल्यांकन करने और इसे लागू करने के साथ 1 अक्टूबर से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तैयार होने की जरूरत है।’ सरकार ने ई-रसीद की योजना चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना बनाई है। पहले इसे 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले उद्यमों के लिए 1 अप्रैल से लागू किए जाने की योजना थी, लेकिन आईटी संबंधी तैयारियां न होने के कारण इसे टाल दिया गया।
पिछले सप्ताह एक वेबिनॉर मेंकेंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के मुख्य आयुक्त ने कहा था, ‘हम इसे 100 करोड़ रुपये की बिक्री वाले उद्यमों से शुरू नहीं करेंगे, बल्कि 500 करोड़ रुपये वाले उद्यमों से शुरू करेंगे। जब यह स्थिर हो जोगा तब हम 100 करोड़ रुपये और इससे ज्यादा के उद्यमों पर इसे लागू करेंगे।’
एएमआरजी एसोसिएट्स में पार्टनर रजत मोहन ने कहा, ‘ई-वे बिल वस्तुओं की आवाजाही पर नजर रखने के लिए लागू किया गया था, इसी तरह से ई-रसीद से लेन-देन पर नजर रखी जा सकेगी और राजस्व की चोरी तत्काल पकड़ी जा सकेगी।’
