भारत का चालू खाते का घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से कम होने की उम्मीद है। यूबीएस सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक सीएडी कम होने का कारण वस्तु व्यापार घाटा सीमित होना, शुद्ध सेवाओं की प्राप्तियां बेहतर होना, विदेश से भारत अधिक धन भेजा जाना और व्यापक आर्थिक स्थायित्व है। इस रिपोर्ट में वित्त वर्ष 24 में सकल घरेलू उत्पाद के एक फीसदी से भी कम सीएडी रहने का अनुमान लगाया गया है।
यूएसबी इंडिया की अर्थशास्त्री तनवी गुप्ता जैन के मुताबिक, ‘हम वित्त वर्ष 25 की ओर बढ़ रहे हैं। आगामी वित्त वर्ष में सीएडी थोड़ा बढ़कर जीडीपी का 1.3 फीसदी हो जाएगा। हमारा अनुमान है कि यदि बाकी बिंदु अपरिवर्तित रहते हैं तो भारत वैश्विक कच्चे तेल के 90 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ने को वहन कर सकता है। हालांकि कच्चे तेल के दाम जितने गिरेंगे, उतना ही भारत के लिए बेहतर होगा।’
चालू खाते का घाटा यह प्रदर्शित करता है कि देश निर्यात की तुलना में अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात कर रहा है। यदि आयात से अधिक निर्यात का मूल्य हो जाता है तो देश चालू खाते के अधिशेष में आ जाता है।
आरबीआई के आंकड़े के मुताबिक वस्तुओँ का व्यापार घाटा कम होने और सेवाओँ के निर्यात में वृद्धि होने से सितंबर में समाप्त तिमाही (वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही) में भारत का चालू खाते का घाटा क्रमिक रूप से कम होकर 8.3 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद का 1 फीसदी हो गया है।
हालिया वर्षों में सीएडी ने जीडीपी के 2.2-2.5 फीसदी के स्थायी दायरे को नहीं तोड़ा है। कारण यह है कि सेवाओं के उच्च व्यापार अधिशेष व जबरदस्त ढंग से देश में धन आने से अतिरिक्त बफर राशि हो गई। यूबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक अतिरिक्त बफर होने के बावजूद उच्च वैश्विक तेल दामों से भारत को जोखिम है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की रिपोर्ट में भी वित्त वर्ष 24 में चालू खाते के घाटे में गिरावट की समीक्षा की गई है। सेवाओं का अधिशेष अनुमान से अधिक होने के कारण चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी होने का अनुमान जताया गया है जबकि पहले अनुमान जीडीपी के 1.2 फीसदी तक रहने का था।
आईडीएफसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘वित्त वर्ष 24 के चालू घाटे का घाटा यह इंगित करता है कि घरेलू बचत बढ़कर जीडीपी के 30.5 फीसदी तक हो जाएगी, जो कि वित्त वर्ष 23 में 29.1 फीसदी थी। यह ज्यादा घरेलू बचत और निजी कॉरपोरेट बचत प्रदर्शित करती है।’
इलारा ग्लोबल रिसर्च ने भी वित्त वर्ष 24 के लिए चालू खाते के घाटे की समीक्षा की है। इलारा ग्लोबल रिसर्च ने चालू खाते का घाटा 1.1 फीसदी किया है जबकि यह पहले 1.3 फीसदी था।