अर्थव्यवस्था

दूसरी तिमाही में CAD बढ़कर 37 तिमाहियों के ऊपरी स्तर पर पहुंचेगा: रिपोर्ट

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भाषा
Last Updated- December 14, 2022 | 6:44 PM IST

निर्यात में गिरावट और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण दूसरी तिमाही में करेंट अकाउंट डेफिसिट (कैड) बढ़कर 37 तिमाहियों के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताते हुए कहा गया है कि इस दौरान कैड सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.4 प्रतिशत या 36 अरब डॉलर रह सकता है।

एक साल पहले की समान अवधि में यह 1.3 प्रतिशत या 9.7 अरब डॉलर था। इससे पहले जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कैड वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही में 4.7 प्रतिशत तक बढ़ गया था। स्थिर कीमतों पर पिछला उच्चतम स्तर 2012-13 की तीसरी तिमाही में था, जब यह 31.8 अरब डॉलर तक बढ़ गया था।

वस्तुओं के निर्यात में दिख रहा गिरावट का रुख

इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घाटा 23.9 अरब डॉलर या 2.8 प्रतिशत था। प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के चलते वस्तुओं के निर्यात में गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है। इसमें फरवरी, 2021 के बाद पहली बार अक्टूबर, 2022 में 20 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

जिंस की कीमतों में कमी आने से आयात बिल कम करने में मिल सकती है मदद

रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि वस्तुओं का निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में आठ तिमाहियों के निचले स्तर 88.2 अरब डॉलर तक घट जाएगा। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही के मुकाबले 17.4 प्रतिशत कम है। दूसरी तरफ, जिंस कीमतें गिरने से तीसरी तिमाही में देश को अपना आयात बिल कम करने में मदद मिलेगी।

इसके व्यापार घाटा (आयात और निर्यात का अंतर) तीसरी तिमाही में 83.7 अरब डॉलर के नए उच्चस्तर पर पहुंच जाएगा। एजेंसी का अनुमान है कि तीसरी तिमाही में रुपया डॉलर के मुकाबले औसतन 81.8 पर रहेगा। इससे करेंट अकाउंट डेफिसिट पर और दबाव बढ़ेगा।

First Published : December 14, 2022 | 5:19 PM IST