अर्थव्यवस्था

टोल ढांचे में बदलाव की संभावना तलाशेंगे आयोग व मंत्रालय

रिपोर्ट में कहा कि रियायत अवधि के बाद टोल वसूलने से ‘सतत टोल वसूली’ की व्यवस्था बनती है, इस प्रक्रिया में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है।

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ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- August 13, 2025 | 10:37 PM IST

राष्ट्रीय राजमार्गों पर अधिक टोल वसूले जाने की बढ़ती शिकायतों के बीच सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने शुल्क निर्धारण ढांचे में संशोधन के लिए थिंक टैंक नीति आयोग के साथ एक अध्ययन शुरू किया है। मंत्रालय ने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को यह जानकारी दी है। कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में बनी संसद की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रियायत अवधि के बाद टोल वसूलने से ‘सतत टोल वसूली’ की व्यवस्था बनती है, इस प्रक्रिया में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है।

 ‘सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और अन्य सार्वजनिक उपयोगिताओं पर शुल्क, टैरिफ, उपयोगकर्ता शुल्क आदि की वसूली और विनियमन’ नामक रिपोर्ट में समिति ने कहा, ‘मंत्रालय ने कहा है कि आधार दरों, मुद्रास्फीति सूचकांक और रियायत ढांचे सहित उपयोगकर्ता शुल्क निर्धारण ढांचे को संशोधित करने के लिए नीति आयोग के साथ एक अध्ययन शुरू किया गया है। समिति सिफारिश करती है कि नीति आयोग द्वारा प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं के सहयोग से कराए जा रहे प्रस्तावित अध्ययन को मंत्रालय आगे बढ़ाए और सुनिश्चित करे कि यह एक नियत समय सीमा में और परिणाम देने वाला हो।’ समिति और मंत्रालय के बीच चर्चा के दौरान  समिति को बताया गया कि अध्ययन की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया गया है।

मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने पीएसी से कहा, ‘यह मसला पीएसी की पिछली सुनवाई के दौरान भी सामने आया था। इसलिए 17 साल बाद अब हम बेस रेट में पर भी नए सिरे से विचार कर रहे हैं।’ प्रतिनिधि ने कहा कि नीति आयोग से अनुरोध किया गया है कि इस काम में अध्ययन के लिए आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों को लगाया जाना चाहिए। समिति  ने कहा, ‘समिति की इच्छा है कि पूंजीगत व्यय और नियमित रखरखाव लागत वसूल हो जाने के बाद किसी भी राजमार्ग खंड पर टोल वसूली को युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए और इसमें पर्याप्त कमी की जानी चाहिए। इस बिंदु से आगे टोल वसूली जारी रखने की अनुमति तभी दी जानी चाहिए जब प्रस्तावित स्वतंत्र निरीक्षण प्राधिकरण द्वारा स्पष्ट रूप से उचित और अनुमोदित हो। समिति यह भी आग्रह करती है कि लागत वसूली से परे टोल वसूली की अनुमति देने वाले सभी मौजूदा अनुबंधों और सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित टोल प्लाजा की समीक्षा इन सिद्धांतों के आलोक में की जानी चाहिए ताकि उपयोगकर्ता के हितों की रक्षा हो सके और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के उपयोग में समानता के सिद्धांत को बनाए रखा जा सके।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर अत्यधिक टोल वसूली के आरोप सरकार के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। साथ ही राजमार्गों की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आ रही हैं तथा नागरिकों और विपक्षी दलों ने कई हिस्सों में घटिया गुणवत्ता वाले राजमार्गों के मद्देनजर टोल के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। समिति ने कहा, ‘इसे देखते हुए समिति सिफारिश करती है कि मंत्रालय नागरिक उड्डयन क्षेत्र में हवाई अड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण (एईआरए) की तर्ज पर एक टैरिफ प्राधिकरण स्थापित करे ताकि टोल निर्धारण, संग्रहण और विनियमन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।’

First Published : August 13, 2025 | 10:31 PM IST