जीएसटी में बदलाव से मुद्रास्फीति पर दबाव

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:30 PM IST

गैर-ब्रांडेड पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर भी आज से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो गया है। इन उत्पादों पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हो सकती है लेकिन वैश्विक जिंसों की कीमतों में कमी और घरेलू फल एवं सब्जी के दाम नरम रहने से हालात पर काबू पाया जा सकता है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री और जीएसटी परिषद के सदस्य बासवराज बोम्मई ने कहा कि वह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को प्रतिपूर्ति पर समुचित दिशा-निर्देश जारी करने को कहेंगे ताकि खाद्य पदार्थों पर जीएसटी वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर न पड़े।
नई वस्तु एवं सेवा कर की दर गेहूं, चावल, दही, शहद, मांस-मछली पर लगाई गई है। हालांकि सीबीआईसी ने रविवार को स्पष्ट किया था कि यह कर 25 किलोग्राम से कम वजन वाले पैकेटबंद उत्पादों, जैसे आटा, चावल आदि पर लगेगा। अस्पतालों में आईसीयू से इतर 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले कमरे भी अब जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। एक हजार रुपये से कम किराये वाले होटलों के कमरों पर भी अब 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। साथ ही बैंकों के चेकबुक, एलईडी लाइट, ब्लेड, कैंची, कागज, पेंसिल आदि पर भी 18 फीसदी कर देना पड़ेगा।
एचडीएफसी बैंक निधि की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि जीएसटी का दायरा बढ़ाए जाने से जुलाई और अगस्त में मुद्रीस्फीति में 10 से 15 आधार अंक का इजाफा हो सकता है। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थ और तेल की मुद्रास्फीति अगले तीन महीनों में नीचे रहकर चकित कर सकती है, वहीं सब्जियों, खाद्य तेलों और फलों के दाम घटने से खाद्य मुद्रास्फीति कम हो सकती है।
क्वांट ईको रिसर्च की अर्थशास्त्री युविका सिंघल कहती हैं कि जीएसटी परिषद दरों को युक्तिसंगत बनाने और व्युत्क्रम शुल्क ढांचे में सुधार पर ध्यान दिया है, लेकिन इससे रोजमर्रा के उपभोग में आने वाली वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ेगा।  उनका कहना है  कि खास तौर पर बगैर ब्रांड वाले गेहूं, चावल और डेरी उत्पादों, शहद, गुड़, मुरमुरे पर 5 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर लगाने से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका है।
जीएसटी दरों को बढ़ाने से मुद्रास्फीति का प्रभाव कम आय वर्ग वाले लोगों पर अधिक पड़ेगा। सिंघल बताती हैं कि जीएसटी दरों में बढ़ोतरी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर सीधा असर पड़ेगा और जुलाई-अगस्त से ही इसका प्रभाव दिख सकता है।
इस बीच, वैश्विक जिंसों की कीमत में हाल के समय में हुए सुधार से जीएसटी के कारण होने वाली मुद्रास्फीति में नरमी रह सकती है। जून में खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति थोड़ी नरम होकर 7.01 फीसदी रही, जो मई में 7.04 फीसदी थी। इसके बावजूद जून में लगातार छठे महीने खुदरा मुद्रास्फीति मौद्रिक नीति समिति के ऊपरी लक्ष्य 6 फीसदी से अधिक थी। खाद्य मुद्रास्फीति जून में घटकर 7.75 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो मई में 7.95 फीसदी थी।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘जीएसटी जैसे अप्रत्यक्ष कर का बोझ आखिकरकार ग्राहकों को ही उठाना पड़ता है। इसलिए दरें बढ़ाने से पहले उपभोक्ता उत्पादों पर मुद्रास्फीतिक प्रभाव पर विचार करना चाहिए।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि गैर ब्रांडेड पैकटबंद खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने से मुद्रास्फीति पर खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि असंगठित क्षेत्र के कुछ ब्रांडों को मुद्रास्फीति के आंकड़ों में दर्ज नहीं किया जाता है। ऐसे में अगर इनकी कीमतें बढ़ती भी हैं तो समग्र मुद्रास्फीति पर इसका असर नहीं पड़ेगा। गैर-पंजीकृत स्थानीय खाद्य पदार्थों के ब्रांड पहले वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में नहीं थ।

First Published : July 19, 2022 | 12:56 AM IST