नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम
नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने रविवार को कहा कि एक साल लंबी चली कवायद के बाद केंद्र सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग 25 साल की रूपरेखा तैयार करने के अंतिम चरण में है। इसके तहत भारत को 2047 तक 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि कुछ दीर्घावधि लक्ष्यों को व्यापक तौर पर चिह्नित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही दृष्टिपत्र का अनावरण करेंगे।
नई दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा, ‘विभागीय एसजीओएस (सेक्टरल ग्रुप्स आफ सेक्रेटरीज) से पहले ही बहुत सारे इनपुट आ चुके हैं। अब हम बड़ी रूपरेखा पर काम कर रहे हैं और इन इनपुट में सामंजस्य बिठा रहे हैं। कुछ कार्यान्वयन योजनाएं जोड़ी जाएंगी और दिसंबर तक हमारा विजन दस्तावेज तैयार हो जाएगा।’
इसके लिए कैबिनेट सचिव द्वारा दिसंबर 2021 में कवायद शुरू की गई थी। उसके बाद 10 क्षेत्रीय समूहों का गठन ग्रामीण और कृषि, बुनियादी ढांचा, संसाधनों, सामाजिक दृष्टि, लोक कल्याण, वित्त एवं अर्थव्यवस्था, वाणिज्य एवं उद्योग, प्रशासन और सुरक्षा एवं विदेश मामलों के लिए किया गया था। इन एसजीओए द्वारा अंतिम प्रस्तुति नवंबर के पहले सप्ताह में दी जाएगी।
सुब्रमण्यम के मुताबिक केंद्र के लिए ज्यादा चिंता मध्यावधि के हिसाब से मध्य आय वर्ग को लेकर है, जहां भारत की प्रति व्यक्ति आमदनी 5000 से 6000 डॉलर प्रति माह हो सकती है और इसकी वजह से विकास की गति धीमी हो सकती है। नीति आयोग के सीईओ ने कहा, ‘कुल मिलाकर विजन दस्तावेज का मकसद ऐसी स्थिति से बचना और उसके अगले स्तर पर ले जाना है।’ आयोग के आंतरिक अनुमान के मुताबिक भारत की आबादी निकट भविष्ट में 1.65 अरब के करीब स्थिर हो जाएगी।
केंद्र सरकार उद्योगों के साथ भी बैठकों का आयोजन करेगी और और नवंबर के अंतिम दो सप्ताहों में उनके इनपुट विजन दस्तावेज में शामिल किए जाएंगे। इन बैठकों में गौतम अदाणी, मुकेश अंबानी और नंदन नीलेकणि के साथ अन्य शामिल होंगे। सुब्रमण्यम ने कहा, ‘कुछ वरिष्ठ अधिकारी इन बैठकों में शामिल होंगे।’ विजन दस्तावेज में अफसरशाही के कामकाज और प्रशासन के तरीकों में बदलाव शामिल होगा।
इसमें बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय निवेश भी शामिल होगा। हाल में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने 80 लाख करोड़ डॉलर निवेश का मैरीटाइम विजन जारी किया था। इसी तरह का आक्रामक लक्ष्य सड़क, रेलवे और आवास क्षेत्र ने रखा है।
सामाजिक क्षेत्र में भारत 2047 तक 90 प्रतिशत साक्षरता दर करने का लक्ष्य रखने वाला है। केंद्र ने आने वाले समय के जोखिमों को भी चिह्नित किया है, जिसका असर इन अनुमानों पर पड़ सकता है।
जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव, घरेलू क्षेत्रीय असंतुलन, अपर्याप्त कौशल आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनकी वजह से व्यवधान हो सकता है।