पर्याप्त मात्रा में बैंक नहीं घटा रहे हैं दरें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 9:50 PM IST

सरकार ने आज कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से प्रमुख दरों में कमी के मद्देनजर बैंक विशेषकर निजी क्षेत्र के बैंक पर्याप्त रूप से ब्याज दरों में कटौती नहीं कर रहे हैं। 
सीआईआई की सालाना बैठक में कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर ने कहा कि बैंक विशेषकर निजी क्षेत्र के बैंकों ने ब्याज दरों में उतनी कटौती नहीं की है जितनी रिजर्व बैंक की ओर से प्रमुख दरों में कमी किए जाने के बाद उम्मीद थी।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कल कहा था कि आरबीआई यह समझने के लिए बैंकों के साथ बातचीत कर रहा है कि केंद्रीय बैंक की ओर से प्रमुख दरों में कटौती के बावजूद ब्याज दरों में कमी क्यों नहीं हो रही है।
आरबीआई ने 2008 के सितंबर मध्य से रेपो (कर्ज देने) और रिवर्स रेपो (कर्ज लेने) की दरों में चरणबध्द तरीके से क्रमश: 4.0 फीसदी और 2.5 फीसदी की कटौती की है। ये दरें अब क्रमश: 5.0 प्रतिशत और 3.5 प्रतिशत है। इसके अलावा, उसके बाद से अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा बढ़ाने के लिए नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में चार फीसदी तक कटौती की गई है।
वृध्दि दर 6.5 फीसदी रहेगी: मोंटेक
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने आज कहा कि भारत चालू वित्त वर्ष और 2009-10 के दौरान देश की वृध्दि दर 6.5 फीसदी या इससे ज्यादा रह सकती है। अहलूवालिया ने आज सीआईआई के सम्मेलन में कहा कि अगले वित्त वर्ष में हमारी वृध्दि दर सात फीसदी से कम रह सकती है।
वर्ष 2008-09 में यह 6.5 फीसदी से 6.7 फीसदी के बीच रही। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान भी वृध्दि दर यही रहेगी। अहलूवालिया ने कहा पहले घोषित प्रोत्साहन पैकेज का असर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही से दिखना शुरू हो जाएगा। बकौल अहलूवालिया हालात खराब नहीं हैं लेकिन नकारात्मक रवैए से जोखिम की धारणा फैल गई है।
उन्होंने कहा कि कैलेंडर वर्ष के आधार पर 2009 पिछले साल के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से बुरा होगा। उन्होंने कहा कि रोजकोषीय और मौद्रिक दोनों नीतियों को जोखिम की धारणाओं से निपटना होगा। अहलूवालिया ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था किसी मामले में कमजोर नहीं है और उस पर बुरा असर नहीं होगा।
मुद्रास्फीति 

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति शून्य से दो फीसदी ऊपर या नीचे के दायरे में रहेगी। विरमानी ने सीआईआई के सम्मेलन में कहा, ‘यदि एक साल का नजरिया रखें तो इस मार्च से लेकर अगले मार्च तक मुझे उम्मीद है मुद्रास्फीति शून्य और इससे दो फीसदी ऊपर या नीचे रहेगी।’
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर घटकर 14 फरवरी को समाप्त सप्ताह में 0.27 फीसदी हो गई है जो पिछले तीन दशक का निम्नतम स्तर है। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि मुद्रास्फीति जल्दी ही शून्य के नीचे गिर जाएगी। सतत अपस्फीति की संभावना से इन्कार करते हुए विरमानी ने कहा कि जीडीपी के लिए उपयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति का ज्यादा संकेत देता है और इसके शून्य के करीब जाने की कोई उम्मीद नहीं है।

First Published : March 28, 2009 | 4:57 PM IST