कहते हैं कि दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। शायद यही वजह है कि सरकार महंगाई से इस तरह परेशान हो गई है कि वह हर उन उपायों पर अमल करने पर विचार कर रही है जिससे मुद्रास्फीति की दर पर लगाम लगाई जा सके।
यही वजह है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद चाहती है कि छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट का कार्यान्वयन करते समय सरकार अपने कर्मचारियों को एरियर का भुगतान चरणबध्द तरीके से करे और इसके कुछ हिस्से को भविष्य निधि में जमा करा दे।
छठे वेतन आयोग के कार्यान्वयन से अनुमानित 18,000 करोड़ रुपये का एरियर निकलेगा। समिति ने उक्त सुझाव इसलिए दिए हैं ताकि आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन का मुद्रास्फीति पर कम से कम असर पड़े। सरकारी सूत्रों ने कहा कि एरियर का भुगतान नकदी में करने से विभिन्न उत्पादों की मांग बढेग़ी और इससे मुद्रास्फीति में कुछ वृध्दि हो सकती है। परिषद ने कहा है कि कर्मचारियों के एरियर के कुछ भाग को भविष्य निधि में जमा कराना चाहिए।
अर्थशास्त्री सी रंगराजन की अध्यक्षता वाली इस समिति का मानना है कि एरियर का भुगतान एक साथ करने से विशेषकर विनिर्माण एवं उपभोक्ता उत्पादों की कीमतों में तेजी आ सकती है। रंगराजन ने कहा था, ‘पिछले वेतन आयोग की सिफारिशों का कार्यान्वयन करते समय एरियर का भुगतान चरणबध्द तरीके से किया था, इसलिए वह इस पर विचार कर सकती है।’
रंगराजन समिति की सिफारिश
क्या है योजना
करीब 18,000 करोड़ रुपये का होगा एरियर
कुल भुगतान नकदी में नहीं करने का सुझाव
कुछ हिस्सा भविष्य निधि में हो जमा
क्यों ऐसा सुझाव
अचानक से नकदी मिलने से बाजार में बढ़ेगी उत्पादों की मांग
अगर मांग बढ़ती है तो महंगाई का ग्राफ आ सकता है ऊपर