येस बैंक द्वारा एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी स्थापित करने के लिए निवेशकों को तलाशने की प्रक्रिया अब अंतिम दौर में पहुंच गई है। बोली जमा कराने की अंतिम समय सीमा शुक्रवार यानी आज खत्म हो रही है। निजी क्षेत्र के ऋणदाता ने अपने 50,000 करोड़ रुपये की सभी दबावग्रस्त ऋण परिसंपत्तियों को हस्तांतरित करने के लिए एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी स्थापित करने की योजना बनाई है। इससे उसकी गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) शून्य हो जाएंगी।
जिन निवेशकों ने बोली जमा कराई है उनमें से तीन से चार निजी इक्विटी निवेशकों को शॉर्टलिस्ट किए जाने की उम्मीद है। उनमें जेसी फ्लावर्स ऐंड कंपनी, ओकट्री कैपिटल, सेर्बरस कैपिटल और अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट शामिल हैं। येस बैंक के एमडी एवं सीईओ प्रशांत कुमार ने वित्तीय नतीजे के बाद निवेशकों से बातचीत में कहा था कि बैंक ने परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी को दबावग्रस्त परिसंपत्तियों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूरा करने की योजना बनाई है।
कुमार ने कहा, ‘हम इसे मार्च के अंत तक पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोविड संबंधी अनिश्चितताओं और नियामकीय मंजूरियों के कारण इसमें अगली तिमाही तक यानी अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक का समय लग सकता है। लेकिन हम इसे मार्च तक निपटाने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वास्तव में हम एक एआरसी स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं और हम पूरे एनपीएल पोर्टफोलियो को एआरसी में हस्तांतरित करना चाहते हैं। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि यह प्रक्रिया पूरी होने पर हमारे पास लगभग शून्य एनपीएल होगा।’ बैंक के पास 50,000 करोड़ रुपये की दबावग्रस्त परिसंपत्तियां हैं जिसमें तकनीकी तौर पर बट्टेखाते में डाली गई परिसंपत्तियां भी शामिल हैं।
अभिरुचि पत्र आमंत्रित करते हुए बैंक ने कहा था कि संभावित निवेशक के पास न्यूनतम प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां होनी चाहिए और पिछले वित्त वर्ष के दौरान वैश्विक स्तर पर करीब 5 अरब डॉलर का निवेश होना चाहिए। इसके अलावा निवेशक के पास भारतीय कंपनियों अथवा भारतीय परिसंपत्तियों में करीब 0.5 अरब डॉलर के निवेश का अनुभव प्राप्त होना चाहिए। ईवाई को इसके लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। एआरसी में बैंक की हिस्सेदारी 20 फीसदी होगी।