भारत के शीर्ष सीमेंट उत्पादकों ने 2025-26 की जुलाई-सितंबर तिमाही में मजबूत प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन को अच्छी कीमतों, ज्यादा बिक्री और अनुकूल आधार से सहारा मिला। मौसमी कमजोरियों और रखरखाव की रुकावटों ने तिमाही आधार पर प्रदर्शन को प्रभावित किया। लेकिन कुल मिलाकर स्थिति सकारात्मक रही और आगे की राह स्थिर दिख रही है।
इक्विरस कैपिटल के प्रबंध निदेशक और सेक्टर प्रमुख (इन्फ्रास्ट्रक्चर) विजय अग्रवाल ने कहा, सीमेंट की बेहतर कीमतों के कारण प्राप्तियों में सालाना आधार पर 250-300 प्रति टन की वृद्धि हुई है। लिहाजा, इसने कंपनियों को पिछले साल की तुलना में प्रति टन एबिटा बढ़ाने में मदद दी।
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में राष्ट्रीय स्तर पर सीमेंट की औसत कीमतें 355-365 रुपये प्रति कट्टा रहीं। ये वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के 330-335 रुपये प्रति कट्टा से ज्यादा थीं। मिरे एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अक्षय शेट्टी ने बताया कि पिछले साल की मांग पर सरकारी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में कमी, आम चुनाव और मौसम की गड़बड़ी का असर पड़ा था।
सेंट्रम ब्रोकिंग ने कहा कि नतीजों के बाद प्रबंधन की टिप्पणियों से पता चला कि मौसम संबंधी रुकावटों के बावजूद वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में मांग में सालाना आधार पर 4-5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मजबूत ग्रामीण गतिविधियों और चल रहे निर्माण कार्यों ने खपत को बढ़ावा दिया। उद्योगव्यापी प्रति टन एबिटा बढ़कर 932 रुपये हो गया। यह सालाना आधार पर 41 फीसदी की बढ़त है।
जेएम फाइनैंशियल ने बताया कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में उद्योग के वॉल्यूम (लाइक फोर लाइक) में सालाना आधार पर 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। अधिग्रहणों को समायोजित करने के बाद अल्ट्राटेक सीमेंट और अंबुजा सीमेंट्स की संयुक्त बिक्री में भी 7 फीसदी की वृद्धि हुई। क्षमता में इजाफा और बेहतर उपयोग के कारण जेके सीमेंट में 15.1 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई।
जेएम फाइनैंशियल ने कहा, हमारे कवरेज क्षेत्र (उद्योग क्षमता का करीब 75 फीसदी) का कुल एबिटा सालाना आधार पर 53 फीसदी बढ़ा। इसका एक हद तक बड़ा कारण बेहतर मूल्य तय करना रहा। साल दर साल की वृद्धि को कम आधार, नई क्षमताओं (खुद के दम पर और विलय-अधिग्रहण के जरिये), बेहतर उपयोग और बेहतर उत्पाद मिश्रण के साथ-साथ उच्च प्रीमियम सीमेंट बिक्री से भी मदद मिली।
हालांकि तिमाही आधार पर प्रदर्शन में नरमी आई। मॉनसून के कारण मांग में सामान्य गिरावट रही जबकि त्योहारों का मौसम जल्द शुरू होने से खरीदारी का रुझान बिगड़ गया। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर में कटौती से नई प्रणाली अपनाने से जुड़े व्यवधान पैदा हुए। परिचालन फायदे में कमी के कारण प्राप्तियां और एबिटा तिमाही आधार पर कमजोर हुए।
जेएम फाइनैंशियल का अनुमान है कि उसके कवरेज क्षेत्र का एबिटा तिमाही आधार पर 24 फीसदी घटकर 7,900 करोड़ रुपये रह गया। इसका मुख्य कारण मिश्रित प्राप्तियों में कमी है। प्रति टन मिश्रित एबिटा 18 फीसदी घटकर 952 रुपये रह गया।
उद्योग जगत में प्रति टन प्राप्ति तिमाही आधार पर 1 फीसदी कम रही और वॉल्यूम में करीब 8 फीसदी की गिरावट आई। क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक सेहुल भट्ट ने बताया कि मौसमी बदलावों और सितंबर के अंत में जीएसटी दरों में कटौती के बाद तेज गिरावट ने पूरे भारत में सीमेंट की कीमतों में 2.5 फीसदी की कमी कर दी।
लागत के लिहाज से बीओबी कैपिटल मार्केट्स ने बताया कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में प्रति टन कुल लागत में सालाना आधार पर करीब 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। दक्षता में वृद्धि और बेहतर ईंधन मिश्रण की भरपाई लॉजिस्टिक के ऊंचे खर्च और रखरखाव खर्च से हो गई। पेटकोक की कीमतों में सालाना आधार पर बढ़ोतरी हुई जबकि मॉनसून से प्रभावित लॉजिस्टिक्स और भट्ठों की नियोजित बंदी से लागत में तिमाही आधार पर करीब 5 फीसदी का इजाफा हुआ।