टोयोटा किर्लोस्कर के प्रबंध निदेशक हिरोशी नाकागावा से बात की सत्यव्रत मिश्र ने। प्रस्तुत है बातचीत के अंश :
टोयोटा की छोटी कार परियोजना का क्या हाल है?
इस परियोजना पर इस वक्त काम चल रहा है। इस बारे में काम आखिरी स्तर पर काम पहुंच चुका है। असल में इस परियोजना में हम दो स्तरों पर काम कर रहे हैं। डिजाइन पर काम तो चल ही रहा है। साथ ही हम निर्माण के स्तर पर भी काम कर रहे हैं।
इस कार का इंजन कितना ताकतवर होगा?
इस बारे में अभी विचार किया जा रहा है। आखिरी फैसला अभी होने वाला है। हम सारे पहलुओं को देखकर ही आखिरी फैसला लेंगे।
टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन (टीएमसी) की हालत इस वक्त पस्त है। इसका आप पर कितना असर पड़ा है?
काफी असर पड़ा है। आज यूरोप, अमेरिका और जापान में हमारी पैरेंट कंपनी के सामने कई मुश्किलें हैं। इसलिए हम पर भी उसका असर पड़ना स्वाभाविक ही है। हालांकि, भारत में अपने विकास को लेकर हमें काफी उम्मीदें हैं। हम ये नहीं कहेंगे कि हमारी हालत बहुत अच्छी है, लेकिन हमें अच्छे कल की पूरी उम्मीद है। हम यहां तेजी से खुद में सुधार ला रहे हैं। हमारी टीम काफी योग्य है, जो काफी अच्छा काम कर रही है।
क्या आपके निवेश पर भी असर पड़ा है?
अगर मैं न कहूंगा, तो यह गलत होगा। इसमें कच्चे माल की चढ़ती कीमतों का भी बड़ा हाथ रहा है। मिसाल के तौर पर पहले तो स्टील की कीमतों काफी चढ़ गईं, फिर गिरने लगी हैं। हालांकि, अभी तक यह संतोषजनक हालत में नहीं पहुंची हैं।
साथ ही, हमारी बिक्री भी उम्मीद से काफी कम रहीं। इसी वजह से हमें अपने उत्पादन में भी कटौती करनी पड़ी थी। वैसे, इसका हमारी उत्पादन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ा है। हम अब भी साल में 70 हजार कारों का निर्माण कर सकते हैं। जहां तक उत्पादन की बात है, तो हमारा रवैया इस बारे में काफी लचीला है।
विनिमय दरों में मची उठा-पटक का भी आपकी कंपनी पर कितना असर पड़ा है?
देखिए, इस वक्त रुपया काफी कमजोर है, जबकि येन काफी मजबूत। यह हमारे परिचालन के लिए काफी बुरा साबित हो रहा है। हम अपने कलपुर्जों का आयात करते हैं। हालांकि, इस बारे में हमारी रणनीति काफी स्पष्ट है। हम अपनी कारों में स्थानीय कल-पुर्जों की मात्रा को बढ़ा रहे हैं।
