आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला के साथ हाल में हुई बैठक में दूरसंचार विभाग के शीर्ष अधिकारियों को बताया गया था कि वोडाफोन आइडिया के लिए करीब 20,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए 3 से 4 निजी इक्विटी फंडों के साथ बातचीत चल रही है।
घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए दूरसंचार विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हमने वोडा-आइडिया के प्रवर्तकों में से एक बिड़ला के साथ बैठक की थी जिसमें पूंजी जुटाने पर चर्चा की गई। हमें बताया गया कि पैसे जुटाने के लिए 3 से 4 निजी इक्विटी निवेशकों के साथ बातचीत हो रही है। हालांकि पूंजी जुटाने की कोई समयसीमा पर चर्चा नहीं हुई लेकिन हमें भरोसा है कि कंपनी बहुत जल्द पटरी पर आ जाएगी।’
अधिकारियों से जब यह पूछा गया कि क्या बिड़ला ने वोडाफोन आइडिया के बकाया भुगतान में और रियायत जैसे कि बकाये को इक्विटी में बदलने की मांग की है तो उन्होंने कहा, ‘अभी तक इस तरह के प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हुई है।’ वोडाफोन आइडिया द्वारा बकाये के बड़े हिस्से का सरकार को भुगतान वित्त वर्ष 2026 में किया जाना है।
कंपनी के एक प्रमुख प्रवर्तक द्वारा भरोसा दिया जाना काफी अहम है क्योंकि पूंजी जुटाने में हो रही देरी के कारण वोडाफोन आइडिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चिंता जताई जा रही है। बिना पूंजी के कंपनी 5जी सेवाएं शुरू नहीं कर सकती है और न ही अपनी 4जी सेवाओं का विस्तार करने में सक्षम होगी। वोडा-आइडिया का देश भर में 90 फीसदी इलाके में कवरेज है जबकि उसकी प्रतिस्पर्धी फर्मों का देश भर में नेटवर्क का जाल है।
इस मसले पर पूछे जाने पर वोडा-आइडिया के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी नहीं की।आदत्यि बिड़ला समूह को भेजे गए ईमेल का भी खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
ऐसी खबरें आ रही हैं कि वोडाफोन आइडिया ने जिन निजी इक्विटी फंडों के साथ चर्चा की थी उनमें न्यूयॉर्क की केकेआर और सिंगापुर की टेमासेक होल्डिंग्स थी। हालांकि इन दोनों कंपनियों ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इससे पहले निवेशकों के लिए एक बड़ी बाधा तब सामने आई थी जब उन्हें सरकार द्वारा कंपनी को दिए कर्ज के हिस्सेदारी में तब्दील होने तक रुकने के लिए कहा गया था।
लगभग 16 महीनों की देरी के बाद फरवरी 2023 में यह प्रक्रिया पूरी हो गई जब सरकार ने कंपनी को दिए 16,133 करोड़ रुपये को हिस्सेदारी में परिवर्तित कर लिया। इसके साथ ही संभावित निवेशकों के साथ बातचीत का रास्ता साफ हो गया। कर्ज को हिस्सेदारी में बदले जाने के बाद कंपनी को अपने ऊपर कर्ज घटाने में मामूली मदद मिली। वोडाफोन आइडिया पर अब भी 2.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।
हालांकि, अच्छी बात यह है कि कंपनी के ऊपर कुल कर्ज में राजस्व साझा करने के मद में और स्पेक्ट्रम के मद में बकाया भुगतान से जुड़ा है। वोडाफोन आइडिया ने अपने कामकाजी मुनाफे से बैंकों को भुगतान करने में सफल रही है और अपने वेंडरों को परिचालन से प्राप्त नकदी से भुगतान कर रही है।